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दिल्ली: जेएनयू में एडमिन ब्लॉक के 100 मीटर में छात्रों का विरोध अब दंडनीय अपराध

जेएनयू प्रशासन ने शुक्रवार को इसको लेकर नया फरमान जारी किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फरमान का छात्र संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। एबीवीपी ने इसे जेएनयू प्रशासन की दमनकारी नीति बताया है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में एडमिन ब्लॉक के 100 मीटर के क्षेत्र में छात्रों का विरोध अब दंडनीय अपराध होगा। जेएनयू प्रशासन ने शुक्रवार को इसको लेकर नया फरमान जारी किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फरमान का छात्र संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। एबीवीपी ने इसे जेएनयू प्रशासन की दमनकारी नीति बताया है।

जेएनयू की स्टूडेंट ऑफ डीन प्रोफेसर मनुराधा चौधरी की ओर से शुक्रवार को छात्रों के नाम नोटिस जारी किया गया है। इसमें लिखा है कि जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियमों (विश्वविद्यालय के विधियों के अधीन संविधि 32(5) के अनुसार) के तहत एडमिन ब्लॉक के सौ मीटर की परिधि के भीतर किसी भी प्रकार का विरोध या धरना अब दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा।

इसमें एडमिन ब्लॉक के सौ मीटर के दायरे में अंदर भूख हड़ताल, धरना, समूह की घुसपैठ, प्रदर्शन, शैक्षणिक और प्रशासनिक परिसर के प्रवेश या निकास को अवरुद्ध करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आएगा। यदि कोई छात्र इन नियमों का उल्लंघन करता है तो फिर इन नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

जुर्माना, सेमेस्टर पर रोक या डिग्री हो सकती है निरस्त
जेएनयू के इन नियमों के तहत यदि कोई छात्र दोषी पाया जाता है तो उस पर जुर्माना, एक या दो सेमेस्टर के लिए संस्पेंड, हाॅस्टल से निकालने से लेकर डिग्री निरस्त तक हो सकती है। इससे पहले भी 6 जुलाई 2018 को विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद की पीएचडी सस्पेंड करते हुए अन्य पांच छात्रों पर भारी जुर्माना, एक से दो सेमेस्टर सस्पेंड के अलावा हॉस्टल से निकाल दिया था।

छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश : एबीवीपी
जेएनयू एबीवीपी के अध्यक्ष राजेश्वर कांत दूबे ने कहा, प्रशासन छात्रों को आवाज उठाने से रोकने की कोशिश कर रहा है। यह प्रशासन का तानाशाही रवैया है। हम इस आदेश का पुरजोर विरोध करते हैं। छात्रों को अपनी बात रखने का अधिकार है। यह आदेश छात्रसंघ चुनावों को भी प्रभावित करेगा। इस दमनकारी नीति का हम विरोध करते हैं। इस आदेश से छात्रों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति जताने के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। जेएनयू परिसर छात्रों के लिए वह स्थान है जहां विचारों का आदान-प्रदान होता है।

 

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