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झांसी मंडल में किसानों का बढ़ा सम्मान:गांव-गांव पहुंच रहा नल से जल…

किसान सम्मान के साथ जीवन-यापन करें, इसके लिए मंडल के आठ लाख से ज्यादा किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपये की सम्मान निधि उपलब्ध कराई जा रही है। जबकि, सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना संचालित की जा रही है।

किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रदेश सरकार की ओर से विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रहीं हैं। धरातल पर अब इन योजनाओं का असर भी नजर आने लगा है। बुंदेलखंड के गांवों में प्रचलित साहूकारी प्रथा दम तोड़ती जा रही है। जबकि, किसान सम्मान निधि किसानों को सम्मान के साथ जीने का हक दे रही है।

इतना ही नहीं, क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की समस्या का भी सरकार जल जीवन मिशन के तहत स्थायी समाधान करने में जुटी हुई है। इस योजना के तहत गांव-गांव में नल से जल पहुंचने लगा है। बुंदेलखंड की पहचान देश के जल संकटग्रस्त इलाके के रूप में होती है। लेकिन, अब तस्वीर बदल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त पेयजल समस्या के समाधान के लिए जल जीवन मिशन पर तेजी से काम किया जा रहा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि झांसी जनपद में ही 1459 करोड़ रुपये की लागत से 648 गांवों में नल के जरिये पानी पहुंचाने की योजना बनाई गई है और अब तक इस योजना के जरिये 300 गांवों में घर-घर नल से जल पहुंचाया भी जाने लगा है।

इतना ही नहीं, किसान सम्मान के साथ जीवन-यापन करें, इसके लिए मंडल के आठ लाख से ज्यादा किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपये की सम्मान निधि उपलब्ध कराई जा रही है। जबकि, सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना संचालित की जा रही है।

किसानों को साहूकारों के कर्ज के जाल से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम भी अब रंग लाने लगे हैं। किसान अपनी कृषि संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये बैंकों से रियायती ब्याज पर ऋण ले रहे हैं। इसके लिए मंडल के पांच लाख से अधिक किसानों के केसीसी जारी किए गए हैं। दैवी आपदा में फसल बर्बाद होने पर किसानों के हाथ अब खाली नहीं रह जाते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संकट की घड़ी में किसानों को मरहम लगाने का काम करती है। खरीफ सीजन में फसल खराब होने पर मंडल के डेढ़ लाख से ज्यादा किसानों को फसल बीमा योजना के जरिये खराब फसल का मुआवजा उपलब्ध कराया गया था। इसके अलावा पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए पशुधन बीमा योजना संचालित की जा रही है। साथ ही किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके, इसके लिए पहली बार बुंदेलखंड में मोटे अनाज के खरीद केंद्र खोले गए। कम लागत में अधिक पैदावार हो इसके लिए किसानों को उन्नत किस्म के बीच उपलब्ध कराए गए हैं।

पुरानी परियोजनाएं शुरू कीं, नई हुईं विकसित
क्षेत्र के संकटग्रस्त इलाकों में खेतों की प्यास बुझाने के लिए नई योजनाएं तो बनाई ही गईं हैं, साथ ही पुरानी निष्प्रयोज्य परियोजना को दुरुस्त किया गया है। इसका अंदाजा बबीना नहर प्रणाली को देखकर लगाया जा सकता है। नव विकसित इस परियोजना के जरिये बबीना के 15 गांवों के खेतों तक देश की आजादी के बाद से अब नहरों के जरिये खेतों में पानी पहुंचा है।

इतना ही नहीं, यहां की पुरानी निष्प्रयोज्य परियोजनाओं को फिर से चालू किया गया है। इसी का नतीजा है कि यहां नहरों में टेल तक पानी पहुंच रहा है। कमोबेश यही स्थिति इलाकों की भी है। यहां भी नई नहरों का निर्माण कर खेतों तक पानी पहुंचाने का काम किया गया है। जबकि, जिन इलाकों में पानी की अब तक कोई व्यवस्था नहीं है। वहां पानी की समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सर्वे का काम जारी है।

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