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दीयों से जगमगाया काशीपुराधिपति का आंगन, पढ़े पूरी ख़बर

दीपावली का उल्लास अमावस की रात में हर चेहरे पर नजर आया। उल्लास उन आंखों में रहा जो बीती रात साज-सजावट में सोई नहीं। उस अलसाई सुबह में रहा जो उनींदी से जगी थी। उन दीयों में रही जो अंधियारे को परे धकेल उजियारे को बिखेर रही थी। उन मंत्रों में रहा जो सर्वत्र आस्था का उजास और भक्ति की मिठास घोल रही थी। मधुर कलरव में रहा जो भक्ति भाव से पूरित और शुभकामनाओं से प्रेरित होते हुए न्योछावर हो रही थीं। रविवार को महानिशीथ काल व्यापिनी अमावस्या पर प्रदोष काल और स्थिर लग्न में गृहस्थों ने महालक्ष्मी का आह्वान किया। घर-घर महालक्ष्मी के साथ ही भगवान गणेश की पूजा हुई। इसके साथ ही प्रथम दीप काशीपुराधिपति की चौखट पर धरने के बाद दीपमालिकाएं रोशन हो उठीं। शाम होते ही पूरा शहर दीयों और रंगबिरंगी झालरों की रोशनी से जगमग हो उठा। वहीं घाट पर नौ फीट के शंख के बीच बनी भगवान राम की तस्वीर आकर्षण का केंद्र रही।

पूजा की चौकी पर महालक्ष्मी संग विराजे गणेश

घरों से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठानों में अलग-अलग मुहूर्तों में महालक्ष्मी और गणेश का पूजन हुआ। पूजा की चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां विराजमान कराई गईं। वरुण के प्रतीक रूप में कलश की स्थापना हुई। रिद्धि और सिद्धि के प्रतीक के रूप में दो दीपक जलाए गए। विधि-विधान पूर्वक पूजन करने वालों ने नवग्रह और 16 मातृका का भी आह्वान किया। महालक्ष्मी और गणेश को मिष्ठïान, आभूषण समेत विविध पकवान भी अर्पित किए गए। पूजन करने के बाद इष्टदेवों के निमित्त दीपदान किए गए।

देखते ही बन रही थी दीयों की रौनक

गंगा घाट से लेकर गलियों की रौनक देखते ही बन रही थी। जिधर भी नजर जाती रंगीन रोशनी में नहाई इमारतें नजर आतीं। दीपावली की रात जुआ खेलने की परंपरा का बहुत से परिवारों में निर्वाह किया गया। अस्सी से राजघाट के बीच घाटों पर दीप जलाए गए और रंगीन रोशनी से इमारतों को सजाया गया था। श्री काशी विश्वनाथ के गंगा द्वार को भी दीयों की रोशनी से सजाया गया था। कालभैर, बटुक भैरव, दुर्गा मंदिर समेत शहर के सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने दीपदान करके दीपावली की परंपरा निभाई

मणि मंदिर में जल उठा हजारा दीप, आकाशदीप ने बिखेरी छटा

दुर्गाकुंड धर्मसंघ स्थित मणि मंदिर समेत पूरा परिसर रविवार की शाम हजारों दीपकों से झिलमिला उठा। मणि मंदिर परिसर में हजारा दीपक प्रज्जवलित किया गया था। दीपकों से स्वास्तिक, डमरू, ऊॅ, त्रिशूल, हर-हर-महादेव की आकर्षक आकृतियां सजायी गई थी। परिसर में आकाशदीप भी सजाया गया था। रविवार की शाम को धर्मसंघ परिसर के अलावा मणि मंदिर में जैसे ही हजारा दीपक प्रज्जवलित किया गया पूरा इलाका दीपकों की जगमगाहट से प्रकाशमान हो गया। धर्मसंघ परिसर के पार्क के अलावा आसपास के क्षेत्रों को दीपकों से सजाया गया था। इसके साथ ही पूरे परिसर को गेंदा के अलावा अन्य मौसमी फूलों से सजाया गया। प्रात:काल वैदिक विद्वानों ने मणि मंदिर परिसर में स्थापित देव विग्रहों का षोडशोपचार व पंचोपचार पूजन अर्चन के बाद नवीन परिधान धारण कराया गया। तत्पश्चात मंगला आरती की गई। इसके बाद शाम को दीपोत्सव सजाया गया।

पटाखों से सतरंगी हुआ आसमान

दीपावली की शाम को पूजा के बाद पटाखों से आसमान भी सतरंगी हो उठा। कहीं राकेट तो कही चरखी, कहीं फुलझड़ी तो कहीं तेज आवाज वाले पटाखे फूट रहे थे। जैसे-जैसे रात चढ़ती गई पटाखों का शोर भी बढ़ता चला गया।

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