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इस मामले में 2023 विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ले सकती है सख्त निर्णय…

मध्य प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनावों से पहले सरकार बिजली के दाम बढ़ाने के सख्त निर्णय ले सकती है। पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने बिजली बिल में 3.2 फीसदी बढ़ोत्तरी के लिए रेग्युलेटरी कमीशन को प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव में कंपनियों ने साल 2023-2024 में अनुमानित 1527 करोड़ के घाटे का हवाला देते हुए बिजली बिल बढ़ाने की मांग की है। बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी से छोटे घरेलू उपभोक्ताओं के साथ -साथ कृषि और इंडस्ट्रियल सेक्टर पर बुरा असर पड़ सकता है। अलग-अलग श्रेणी में बढ़ोत्तरी प्रस्तावित
प्रस्ताव में घरेलू उपभोक्ताओं से केवल लगभग 2.79% कुल बिजली दरों में वृद्धि की मांग की गई है। लेकिन कम उपयोगकर्ताओं यानी जो केवल 30 यूनिट तक उपभोग करते हैं, 3.2 फीसदी की बढ़ोत्तरी के अनुसार बिजली बिल देना होगा। इसके बाद 50 यूनिट तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए 3% और 150 यूनिट तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए भी 3% वृद्धि प्रस्तावित है। और 150 से 300 यूनिट के बीच उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए 2.79 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि उन उपभोक्ताओं के लिए जो 300 यूनिट से अधिक की खपत कर रहे थे, बिजली दरों में कोई वृद्धि प्रस्तावित नहीं है। इसी तरह, औद्योगिक उपभोक्ताओं (हाईटेंशन) के लिए 3.6% और कृषि उपभोक्ताओं (लो टेंशन) के लिए 3.2% बिजली दरों में बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। चार्जिंग स्टेशन पर 16 फीसदी का बोझ LV 6 टैरिफ श्रेणी जो इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों और बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों के लिए है, लगभग 16% बिजली टैरिफ बढ़ोतरी प्रस्तावित है। वर्तमान टैरिफ पर 6 रुपये प्रति यूनिट चार्ज किया जाता है, इसे संशोधित कर 6.97 रुपये प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव है। हालांकि यह केवल चार्जिंग स्टेशनों पर लागू होगा, उन उपभोक्ताओं पर नहीं जो अपने कनेक्शन से अपने निजी वाहनों को चार्ज कर रहे हैं। एआरआर में डिस्कॉम ने कहा है, ‘टैरिफ विशेष रूप से ईवी/ई रिक्शा चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों के लिए लागू है। अन्य उपभोक्ताओं के लिए टैरिफ, जो अपने स्वयं के वाहन/रिक्शा को चार्ज करने के लिए बिजली का उपयोग करते हैं, वही होगा जो मीटर्ड कनेक्शन की संबंधित श्रेणी के लिए लागू होता है।’ चुनाव से पहले सरकार का क्या होगा रुख  इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अगर सरकार बिजली की दरों में इजाफे को मंजूरी दे देती है तो चुनावों पर इसका असर पड़ सकता है। फ्री बिजली और पानी का वादा करके कांग्रेस इस बिजली बढ़ोत्तरी के खिलाफ लोगो के रोष को वोट में भुनाने का प्रयास करेगी। शिवराज सरकार की तरफ से अबतक इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद से सूबे में घरेलू उपयोग की बिजली दरों में इजाफे से लोगों की जेब ढ़ीली हो सकती है।  

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