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उत्तराखंड : बहार ही नहीं अपनों के बीच भी असुरक्षित है महिलाएं

अपराध की दृष्टि से उत्तराखंड शांत राज्य माना जाता है, लेकिन बीते कुछ साल से महिलाओं से जुड़े अपराध की संख्या में प्रति वर्ष इजाफा हो रहा है, जो चिंता का विषय है। महिलाएं बाहर ही नहीं परिचितों और दोस्तों के बीच भी सुरक्षित नहीं हैं। इसकी तस्दीक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) गृह मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में उत्तराखंड में दुष्कर्म के 522 मामले सामने आए। इनमें से 97 मामलों में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं और युवतियों के जान-पहचान के लोग ही शामिल रहे हैं। 506 मामले ऐसे रहे जिनमें दुष्कर्म पीड़िता को अपनों से ही धोखा मिला। 351 मामलों में परिवारिक मित्र, जबकि 155 केस में पीड़ितों के करीबियों ने ही दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, दुष्कर्म के 522 मामलों में से महज 12 केस ऐसे हैं, जिनमें अज्ञात लोग शामिल रहे। इसके अलावा 16 मामलों में परिवार के सदस्यों के नाम सामने आए हैं। गृह मंत्रालय की यह रिपोर्ट उत्तराखंड में महिलाओं को लेकर बढ़ रही यौन हिंसा की घटनाओं का सबूत है। दहेज हत्या और अपहरण के मामले भी बढ़े उत्तराखंड में दहेज हत्या के मामलों में भी इजाफा हुआ है। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में दहेज हत्या के 63 मामले सामने आए थे, जबकि 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 70 पहुंच गया है। महिलाओं के अपहरण के मामले भी बढ़े हैं। इसके अलावा महिलाओं के अपहरण के मामले एक वर्ष में 237 से 370 तक पहुंच गए हैं। महिलाओं की तस्करी के जहां 2020 में आठ मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 33 तक पहुंच गया है। देश भर में 15वें नंबर पर उत्तराखंड दुष्कर्म के मामलों में उत्तराखंड देश में 15वें स्थान पर है। पहले नंबर पर राजस्थान (6074), दूसरे पर मध्य प्रदेश (2898), तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश (2668), चौथे नंबर पर महाराष्ट्र (2496), पांचवें पर असोम (1709), छठे स्थान पर हरियाणा (1697), सातवें नंबर पर झारखंड (1298), आठवें नंबर पर आंध्र प्रदेश (1298), नौवें नंबर पर छत्तीसगढ़ (1088) और दसवें नंबर पर पश्चिम बंगाल (911) है।  

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