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जाने रेलवे का वो कोटा जिससे टिकट होता है कंफर्म, निराश नहीं करता ये EQ सिस्टम

Indian Railways Emergency Quota: भारत में रेलवे रिजर्वेशन की कंफर्म टिकट का मिलना किसी चमत्कार से कम नहीं होता है. जिन्हें वेटिंग टिकट मिलती है उनकी मायूसी भी समझी जा सकती है. ऐसे में अगर कोई आम आदमी अपने घर जाने के लिए ट्रेन में वीआईपी कोटा से टिकट कंफर्म कराने की बात कहे तो हैरान होने की जरूरत नहीं हैं. क्योंकि उसे पता होता है कि रेलवे की कई सुविधाओं में से एक इमर्जेंसी कोटा (Emergency Quota) होता है. जिसे आम आदमी का वीआईपी कोटा (VIP Quota) भी कहते हैं. क्या होता है ये वीआईपी कोटा? लंबी वेटिंग लिस्ट (Waiting List) के बावजूद बहुत से मुसाफिरों का टिकट आखिरकार कंफर्म (Confirmed Ticket) हो ही जाता है. क्या आपको पता है कि ऐसा कैसे होता है? इसके पीछे का लॉजिक क्या है. क्या होता है वीआईपी या इमर्जेंसी कोटा (EQ) कोटा? ये कोटा किसकी सिफारिश पर छूटता है? आइए आपको बताते हैं. रेलवे की डिक्शनरी में इमरजेंसी कोटा, रेलवे हेडक्वार्टर से छूटने वाला रिजर्व कोटा है. हालांकि इसे रेलवे विभाग के उन अधिकारियों और कर्मियों के लिए बनाया गया था, जिन्हें इमरजेंसी में सफर करना होता है. हालांकि बाद में इसमें देश के मंत्री, सांसद, विधायक, न्यायिक अधिकारी, सिविल सेवा के अधिकारी भी जुड़ते गए. अगर ये हस्तियां खुद सफर करती हैं तो वो इस कोटे से सीट या बर्थ के लिए रिक्वेस्ट कर सकती हैं. यही नहीं ये खास लोग अपने मातहत और परिजनों के लिए भी रिक्वेस्ट करते हैं. सांसद और विधायक भी अपने क्षेत्र की जनता के लिए भी रिक्वेस्ट करते हैं. कैसे कंफर्म होता है टिकट? अगर किसी ने नई दिल्ली से कोलकाता जाने के लिए किसी एक्सप्रेस ट्रेन के थर्ड एसी में रिजर्वेशन कराया और उसे वेटिंग लिस्ट में 70 वां नंबर मिलता है. अगले दिन की ट्रेन है और उसका जाना भी जरूरी है तो उसे किसी ऐसे शख्स से संपर्क करना होगा जो उसका टिकट ईक्यू कोटे से कंफर्म करवा सकता हो. एक बार EQ के लिए रिक्वेस्ट डालने के बाद उसे चार्ट के फाइनल होने तक का इंतजार करना पड़ता है जो ट्रेन के छूटने से कुछ घंटे पहले तैयार होता है. इस चार्ट के जारी होने के बाद, उस शख्स को अपने नाम के आगे एक CNF (पुष्टि) स्थिति दिखाई देगी. यानी इमरजेंसी कोटा कंफर्म होने की स्थिति में वो शख्स आसानी से रेल यात्रा के जरिए आराम से सोते हुए अपने घर तक जा सकता है. आमतौर पर किसी जिले के सांसद या विधायक ही इस कोटे के लिए रिक्वेस्ट करते हैं. वो अपने क्षेत्र की जनता के लिए रेल मंत्रालय से ईक्यू जारी करने की चिट्ठी लिखते हैं. तो ऐसे लोग जो अपने गांव घर के सांसद के टच में रहते हैं वो इमर्जेंसी में ट्रैवल करने की स्थिति में पहले तो अपना वेटिंग टिकट कटाते हैं फिर सांसद से अपना टिकट कंफर्म कराने के लिए चिट्ठी बनवा लेते हैं. इस लेटर के रेलवे बोर्ड तक पहुंचते ही उनका काम हो जाता है. किस ट्रेन में कितना कोटा? रेलवे अधिकारियों के मुताबिक किसी ट्रेन में EQ कोटे की कितनी सीटें होती हैं. इसकी कोई तय सीमा नहीं है. ये कोटा ट्रेन की श्रेणी, उसमें होने वाली संभावित भीड़ और EQ के लिए मिलने वाली रिक्वेस्ट के आधार पर तय होता है.

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