1971 Victory Painting real Location: नई दिल्ली में स्थित सेना मुख्यालय से विक्ट्री पेंटिंग हटाने का मुद्दा काफी सुर्खियों में है। संसद में प्रियंका गांधी ने भी इसका जिक्र किया था। वहीं अब आर्मी ने इस पर अपनी चुप्पी तोड़ी है।
1971 Victory Painting Removal Update: बीते दिन सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफी तेजी से वायरल हो रही थी। यह तस्वीर सेना मुख्यालय की थी। आर्मी चीफ के दफ्तर में लगी 1971 की जीत की मशहूर पेंटिंग हटा दी गई थी। बीते दिन संसद में भी इस मुद्दे ने तूल पकड़ ली थी। तभी से सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर आर्मी चीफ के दफ्तर में लगी पेंटिंग क्यों हटाई गई? सेना ने खुद इस सवाल पर चुप्पी तोड़ी है।
क्या था पूरा मामला?
1971 की विक्ट्री पेंटिंग हटाने पर बात करते हुए सेना ने बताया कि पेंटिंग को उसकी सही जगह पर लगाया गया है, जहां उसे वास्तव में होना चाहिए। दरअसल बीते दिन यानी 16 दिसंबर को ही भारत ने बांग्लादेश को आजाद करवाया था और पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर किया था। 1971 की विक्ट्री पेंटिंग विजय दिवस की निशानी थी। आर्मी चीफ जब भी किसी से मुलाकात करते थे तो उस पेंटिंग के सामने खड़े होकर फोटो जरूर खिंचवाते थे। हालांकि बीते दिन विक्ट्री पेटिंग को वहां से हटा दिया गया।
आर्मी ने दिया जवाब
भारतीय सेना के ADGPI ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते हुए विक्ट्री पेंटिंग हटाने की वजह बताई है। उन्होंने कहा कि विजय दिवस के मौके पर पेंटिंग को मानिकशॉ सेंटर में रखा गया है। ADGPI ने लिखा कि विजय दिवस के मौके पर 1971 की आइकॉनिक पेंटिंग को उसकी सही जगह पर रखा गया है। 1971 के वॉर हीरो सैम मानिकशॉ की याद में बने मानिकशॉ सेंटर में पेंटिंग को स्थानांतरित कर दिया गया। बता दें कि मानिकशॉ सेंटर देश की राजधानी नई दिल्ली में मौजूद है। फील्ड मार्शल सैम मानिकशॉ के नाम पर इस सेंटर का नाम रखा गया है। इस सेंटर में 1971 के युद्ध से जुड़ी कई खास चीजें मौजूद हैं।
प्रियंका गांधी ने उठाई थी आवाज
बीते दिन कांग्रेस सासंद प्रियंका गांधी ने जीरो आवर के दौरान लोकसभा में पेंटिंग का मुद्दा उठाया था। जिसके बाद से ही पेंटिंग विवाद ने तूल पकड़ लिया। 1971 की विक्ट्री पेंटिंग के जगह सेना मुख्यालय पर अब कर्म क्षेत्र पेंटिंग लगाई गई है। इस पेंटिंग में पेंगांग सो लेक, महाभारत और आचार्य चाणक्य की झलक देखी जा सकती है।