स्काईरूट एयरोस्पेस ने मंगलवार को स्वदेशी विक्रम-1 रॉकेट का अनावरण किया। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में अन्य देशों का नेतृत्व करने की स्थिति में है। विक्रम-1 रॉकेट 300 किलोग्राम का पेलोड पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जा सकेगा। अंतरिक्ष क्षेत्र की स्टार्ट-अप स्काईरूट एयरोस्पेस ने मंगलवार को स्वदेशी विक्रम-1 रॉकेट का अनावरण किया। अगले साल की शुरुआत में उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाने की उम्मीद है। बता दें कि स्काईरूट एयरोस्पेस भारत की पहली राकेट-लॉन्चिंग प्राइवेट कंपनी है। इसका मुख्यालय हैदराबाद में है। कंपनी की स्थापना इसरो के पूर्व इंजीनियरों और विज्ञानियों ने की थी। इसका लक्ष्य विशेष रूप से छोटे उपग्रह बाजार के लिए तैयार किए गए छोटे राकेटों को विकसित करना और लॉन्च करना है।
300 किलो पेलोड को ले जाने की क्षमता
विक्रम-1 एक बहु-स्तरीय प्रक्षेपण यान है। ये लगभग 300 किलोग्राम पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में रखने की क्षमता रखता है। विक्रम-1 ऑल-कार्बन-फाइबर-बॉडी रॉकेट है जो कई उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर सकता है और इसमें 3 डी-मुद्रित तरल इंजन हैं।
‘अंतरिक्ष क्षेत्र में अन्य देशों का नेतृत्व करने की स्थिति में भारत’
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अब अंतरिक्ष क्षेत्र में अन्य देशों का नेतृत्व करने की स्थिति में है। उन्होंने हैदराबाद में जीएमआर एयरोस्पेस और इंडस्टि्रयल पार्क में स्काईरूट एयरोस्पेस के नए मुख्यालय ‘मैक्स-क्यू’ का उद्घाटन किया। जितेंद्र सिंह ने 60 हजार स्क्वायर फीट में फैले स्काईरूट मुख्यालय का दौरा भी किया। उन्होंने इसे एक छत के नीचे देश की सबसे बड़ी निजी रॉकेट विकास सुविधा के रूप में पेश किया। जितेंद्र सिंह ने कहा, आज हम उस स्थिति में हैं जहां भारत को अब ऐसे देश के रूप में नहीं देखा जा रहा है जिसका नेतृत्व अन्य देश कर रहे हैं। अब हम अंतरिक्ष क्षेत्र में अन्य देशों को नेतृत्व दे रहे हैं। केंद्र द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र को बंधन मुक्त करने से स्टार्टअप में तेजी आई है। कुछ ही समय में अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या 150 से अधिक हो गई है।
विक्रम-1 स्काईरूट का दूसरा रॉकेट
विक्रम-1 स्काईरूट का दूसरा रॉकेट होगा, जिसे 2024 की शुरुआत में लॉन्च करने की योजना है। बीते साल 18 नवंबर को विक्रम-एस रॉकेट की सफल लॉन्चिंग हुई थी।