नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के युद्ध का असर भारत में महंगाई भी बढ़ा सकता है. और साथ ही इन दोनों देशों के साथ व्यापार पर भी असर पड़ना तय है.
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चुनाव खत्म होते ही बढ़ेंगे तेल के दाम
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, हालांकि इसके बावजूद भारत में तेल के दाम नहीं बढ़े, क्योंकि चुनाव चल रहे हैं. वैसे देश में पिछले साल की 4 नवंबर से लेकर अब तक तेल के दाम नहीं बढ़े हैं. लेकिन चुनाव खत्म होते ही दाम बढ़ना तय माना जा रहा है.
कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत पर असर
कच्चे तेल के दामों में 10 फीसदी बढ़ोतरी से भी थोक महंगाई में लगभग 0.9 फीसदी की बढ़ोतरी होगी.कच्चे तेल के दाम अगर 100 डॉलर प्रति बैरल से ज़्यादा बने रहे तो भारत में थोक महंगाई में लगभग 2-3 फीसदी का इजाफा होगा. कच्चा तेल के हरेक 1 डॉलर प्रति बैरल बढ़ने पर देश पर तो 10 हजार करोड़ का बोझ बढ़ेगा.
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सूरजमुखी के तेल के दाम बढ़ेंगे
यूक्रेन दुनिया का सबसे बड़ा सनफ्लावर उगाने वाला देश भी है. इसलिए इस युद्ध का असर सूरजमुखी के तेल के दामों पर भी पड़ेगा. 2020-21 में भारत ने यूक्रेन से 14 लाख टन सनफ्लावर ऑयल आयात किया था. अब युद्ध छिड़ा है, तो सनफ्लावर ऑयल की कीमतों में उछाल देखा जा सकता है
गाजियाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन को 100 करोड़ का नुकसान
रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध का असर गाजियाबाद के व्यापार पर भी पड़ा है. यहां करीब 80 से 100 फैक्ट्री ऐसी हैं जिनका इन दोनों देशों से एक्सपोर्ट या इंपोर्ट का काम है. इन दोनों देशों में गाजियाबाद से कृषि का सामान और कपड़े का निर्यात होता है.
जबकि रूस और यूक्रेन से व्यापारी पेट्रोलियम पदार्थ और केमिकल आयात होता है. लेकिन युद्ध की वजह से कुछ भी इंपोर्ट एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है. गाजियाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन को अब तक करीब 100 करोड़ का नुकसान हो चुका है.
भारत और रूस का आयात-निर्यात जानें
भारत रूस को कपड़े, फार्मा उत्पाद, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, लोहा, स्टील, कैमिकल, कॉफी और चाय का निर्यात करता है. पिछले साल भारत ने रूस को 19,649 करोड़ रुपये का निर्यात किया और 40,632 करोड़ रुपये का आयात किया.
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भारत का यूक्रेन को निर्यात और आयात जानें
यूक्रेन को भी भारत कपड़े, फार्मा उत्पाद, दालें, कैमिकल, प्लास्टिक का सामान, इलेक्ट्रिक मशीनरी का निर्यात करता है. इसी तरह से पिछले साल यूक्रेन को भारत ने 3,338 करोड़ रुपये का निर्यात किया और 15,865 करोड़ रुपये का आयात किया.
जानिए क्या कह रहे हैं अर्थशास्त्री ?
अर्थशास्त्री शरद कोहली का कहना है कि, एमएसएमई सेक्टर भारत के 95 प्रतिशत से भी ज्यादा बिजनेस से मिलकर बनता है. अगर एमएसएमई सेक्टर युद्ध के कारण डिस्टर्ब होता है तो इसकी वजह से साथ ही इनपुट कॉस्ट फ्यूल इनफ्लेशन के कारण अगर फ्यूल की प्राइस बढ़ती है तो जीडीपी के ग्रोथ में 20 से 30 परसेंट असर पड़ेगा.
लिहाजा ग्रोथ कम होगी तो रेवेन्यू गिरेगा जिससे नौकरी में छंटनी होगी तो इससे सीधा सीधा बेरोजगारी पर असर पड़ेगा. यानी युद्ध हर लिहाज से भारत के लिए भी अच्छा नहीं है, इसीलिए जल्द से जल्द युद्ध विराम होना चाहिए.
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