लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मंगलवार को महर्षि वाल्मीकि जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर सरकार ने सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया और राज्य के विभिन्न हिस्सों में वाल्मीकि से जुड़े मंदिरों और स्थलों पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। रामायण पाठ, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, भक्ति गीत और दीप प्रज्वलन समारोह मुख्य आकर्षण रहे।
राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित महर्षि वाल्मीकि जयंती कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। इस दौरान विधान परिषद सदस्य लालजी प्रसाद निर्मल ने अतिथियों का स्वागत किया।
सीएम योगी ने अपने संबोधन में कहा, “जो लोग भगवान राम को गाली देते हैं, वे महर्षि वाल्मीकि का भी अपमान करते हैं। और जो महर्षि वाल्मीकि का अपमान करते हैं, वे भगवान राम का भी अपमान करते हैं।” उन्होंने समाज से अपील की कि वाल्मीकि और राम के महत्व को समझें और इसे आगे बढ़ाने का प्रयास करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वाल्मीकि समाज देश में बहुत प्रभावशाली है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अयोध्या में देश का पहला इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाल्मीकि के नाम पर बनाया गया है और राम मंदिर परिसर में बने सप्तऋषि मंदिरों में एक विशेष मंदिर महर्षि वाल्मीकि के लिए भी समर्पित है। यह सभी कार्य डबल इंजन सरकार की योजनाओं के अंतर्गत संपन्न हो रहे हैं।
सीएम ने यह भी कहा कि जो लोग राम में विश्वास नहीं रखते और रामभक्तों पर हमला करते हैं, उनसे समाज की भलाई की उम्मीद नहीं की जा सकती। उनका काम केवल समाज में विघटन फैलाना है। इसलिए सभी नागरिकों से अपील की कि वे महर्षि वाल्मीकि और भगवान राम के आदर्शों को समाज तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि भक्ति और विश्वास जितना मजबूत होगा, समाज उतना ही सशक्त और आत्मनिर्भर बनेगा, और यही विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में योगदान देगा।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह, सांसद डॉ. दिनेश शर्मा, पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, महापौर सुषमा खर्कवाल, विधायक ओपी श्रीवास्तव, विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा, रामचंद्र प्रधान और भाजपा महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी सहित कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे।
कार्यक्रम में वाल्मीकि समाज और अन्य नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और भक्ति भाव से महर्षि वाल्मीकि के योगदान को याद किया। इस अवसर ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक समरसता के दृष्टिकोण से भी एक सकारात्मक संदेश दिया।
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