भारतीय संविधान के 11 अधिवेशन में से हरियाणा के लिए सातवां अधिवेशन अधिक महत्वपूर्ण रहा था। क्योंकि इस अधिवेशन में रोहतक के सांघी गांव के रणबीर सिंह हुड्डा ने हरियाणा के निर्माण की आवाज बुलंद की थी। रणबीर हुड्डा हरियाणा के आठ सदस्यों में से सबसे कम उम्र के थे।
भारतीय संविधान के निर्माण के लिए कुल 11 अधिवेशन हुए थे। इनमें सातवां अधिवेशन ऐतिहासिक था, जिसमें हरियाणा के निर्माण की आवाज बुलंद की गई थी। पंजाब से अलग राज्य की मांग करने वाले थे रोहतक के सांघी गांव के रणबीर सिंह हुड्डा। उन्होंने सबसे पहले 18 नवंबर 1948 को संविधान सभा की बैठक में हरियाणा राज्य निर्माण की आवाज उठाई थी। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 32 साल थी। हरियाणा क्षेत्र के आठ सदस्यों में वह सबसे कम उम्र के थे।
बता दें कि संविधान निर्माण पूरा करने में दो वर्ष 11 महीने 18 दिन लगे थे। 26 जनवरी 1950 को इस संविधान को अंगीकार किया गया था। हिसार के पंडित ठाकुर दास भार्गव ने संविधान सभा के अधिवेशनों में सबसे अधिक और सक्रिय भूमिका निभाई थी, तब वह 60 साल के थे। 20-25 जनवरी 1947 तक चले दूसरे अधिवेशन में पानीपत के 47 वर्षीय देशबंधु गुप्ता भी शामिल थे।
उन्होंने सबसे पहले लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखा था। तृतीय अधिवेशन में हिसार जिले के खांडाखेड़ी निवासी चौधरी सूरजमल ने काश्तकारों के फायदे और फौजी के बच्चों से अच्छे बर्ताव की मांग उठाई थी। वह महिलाओं को समान अधिकार देने के हिमायती थे। चौथे अधिवेशन में पंडित ठाकुर दास भार्गव ने दिल्ली को पंजाब का ही हिस्सा बने रहने की वकालत की।
पांचवें अधिवेशन में चरखी दादरी जिले के भागवी गांव निवासी 36 वर्षीय चौधरी निहाल सिंह तक्षक ने देसी रियासतों और डाक समस्या पर संशोधन प्रस्ताव रखा था। उसी अधिवेशन में पंडित ठाकुर दास भार्गव ने अल्पसंख्यक अधिकारियों पर प्रस्ताव पेश किया था। मूल रूप से हांसी निवासी लाला अचिंत राम ने शहर और गांवों की दूरी कम करने की वकालत की थी।
पंडित भार्गव ने ही कानून संबंधी प्रस्ताव पर पक्ष रखा
सातवां अधिवेशन हरियाणा के लिए सबसे महत्वपूर्ण था। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा ने हरियाणा निर्माण के अलावा कृषि और किसानों के हित में आवाज बुलंद की थी। जगत सिंह हुड्डा द्वारा लिखित पुस्तक संविधान सभा में हरयाणा में इसका जिक्र मिलता है। वह गोवध के खिलाफ थे।
आठवें अधिवेशन में पंडित भार्गव ने न्यायालय में धाराओं संबंधी वाद-विवाद में हिस्सा लिया था। नौवें अधिवेशन में भी उन्होंने हरियाणा और दिल्ली के बारे में विचार रखा। दसवें अधिवेशन में भी पंडित भार्गव ने ही कानून संबंधी प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखा। ग्यारहवें अधिवेशन में भी संविधान सभा के मसौदे पर पंडित भार्गव, लाला देशबंधु गुप्ता, रणबीर सिंह हुड्डा ने वाद-विवाद में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। इनके अलावा झज्जर के पंडित श्री राम शर्मा, पानीपत के मास्टर नंदलाल भी संविधान सभा के सदस्य थे।
चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा ये बातें भी रखी थीं संविधान सभा में…
गोरक्षा पर विशेष जोर हो। अच्छी नस्ल की पशुओं का संरक्षण और संवर्द्धन किया जाए
किसान आयकर मुक्त हो
धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना हो
पिछड़े वर्ग की सीटों को सुरक्षित रखा जाए
किसानों और मजदूरों को पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाए
एक राष्ट्रभाषा हो
गांवों को उनका वाजिब हिस्सा मिले
हिसार क्षेत्र से तीन सदस्य थे
संयुक्त पंजाब के 15 सदस्य संविधान सभा में चुने गए थे, उनमें आठ सदस्य हरियाणा क्षेत्र थे। हिसार क्षेत्र से तीन सदस्य थे। संविधान सभा की बैठक में महिला अधिकारों और गांवों को सशक्त बनाने की मांग भी उठी थी। ठाकुर दास भार्गव ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। – डाॅ. महेंद्र सिंह, इतिहासकार, दयानंद कॉलेज हिसार।
सरदार पटेल के साथ मिलकर निहाल सिंह तक्षक ने तोड़ी थीं 600 रियासतें
दादाजी निहाल सिंह तक्षक को जनवरी 1947 में संविधान सभा का सदस्य बनाया गया। सरदार पटेल की सलाह के बाद फरवरी 1948 में दादरी में जींद प्रजामंडल की बैठक की गई, जिसमें फैसला लिया गया कि दादरी को जींद रियासत से अलग करके हिसार जिले में मिला दिया जाए। इसके बाद दादाजी की अगुवाई में जुलूस निकाला गया, जिसमें 10,000 लोग शामिल हुए।
जुलूस के दौरान 21 फरवरी 1948 को चौधरी निहाल को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद राजा रणबीर सिंह को गृहमंत्री सरदार पटेल के समक्ष समर्पण करना पड़ा। 600 रियासतें तोड़ने पर केवल दो ही लोगों को सम्मान मिला, जिनमें एक सरदार पटेल और दूसरे चौधरी निहाल सिंह तक्षक थे। -जैसा कि निहाल सिंह तक्षक के पौत्र अधिवक्ता संजीव तक्षक ने बताया।