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उत्तर प्रदेश में जुलाई के पहले हफ्ते में मॉनसून आने की संभावना

इस बार मॉनसून यूपी में आने से पहले खूब भटकेगा। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक मई में जिस तरह पश्चिमी विक्षोभ आए हैं, इसके जून में भी आने की संभावना है और इसका असर मॉनसून पर पड़ना भी लाजिमी है। उत्तर प्रदेश में जुलाई के पहले हफ्ते में मॉनसून आने की संभावना है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार कानपुर में मॉनसून की उम्मीद 10 जुलाई तक है। इस साल मई में करीब 71 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। जून के पहले सप्ताह में भी पश्चिमी विक्षोभ के असर की संभावना जताई जा रही है। जून के दो सप्ताह तक विक्षोभों के कारण तापमान में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। यही नहीं, समुद्री चक्रवातों का असर भी मॉनसून पर पड़ता है। जून में ऐसे ही एक चक्रवात का अध्ययन किया जा रहा है जो मानसून को समय से थोड़ा पीछे धकेल सकता है। सीएसए में किया गया अध्ययन सीएसए का मौसम विज्ञान विभाग मई में सामान्य से कम तापमान और 71 मिमी बारिश के असर का अध्ययन कर रहा है। जून के पहले और दूसरे हफ्ते के लिए आकलन किया गया है, उसमें अनुमान लगाया जा रहा है कि इसमें तपिश भरी गर्मी की संभावना कम है। पहले सप्ताह में लू की भी उम्मीद नहीं है। 10 जून तक तापमान में तेजी से वृद्धि नहीं होती है तो यह मानसून के लिए आगे रुकावटें भी पैदा कर सकता है। इससे मानसून प्रदेश में ही जुलाई के प्रथम सप्ताह में प्रवेश नहीं कर पाएगा। अलनीनो की संभावना अध्ययन के अनुसार केरल में पूर्व में तीन जून को दक्षिण-पश्चिम मानसून आना था पर अब इसके छह जून को दस्तक देने की संभावना है। अल नीनो की संभावनाएं हैं जिसका असर भविष्य में देखने को मिल सकता है। मानसून सामान्य तौर पर केरल के बाद महाराष्ट्र और फिर उत्तर भारत की ओर अग्रसर होता है। यदि मौसमी चक्र बीच में बनते हैं तो यह मानसून का रूट बिगाड़ सकते हैं। इस बार मई-जून में ऐसे मौसमी सिस्टम बने हैं जिसने देशभर के मौसम में बदलाव किया है। मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि केरल में इस बार भी समय से मानसून पहुंचने की संभावना नहीं है। इसके बाद यूपी तक का सफर भी आसान नहीं है। मई में जो मौसमी सिस्टम बने हैं वह अपेक्षित नहीं थे। जून में भी ऐसी ही संभावना है। मानसून में भटकाव की संभावनाएं अधिक हैं। कानपुर में 10 से 15 जुलाई के बीच मानसूनी बारिश हो सकती है।  

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