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यूपी में भाजपा की जीत ने मिशन 2024 की डगर को क‍िया आसान

केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार के तमाम कार्यों की झांकी दिखाकर भाजपा, शहरों की सरकार पर अपनी पकड़ और मजबूत बनाने में कामयाब रही है। पहले से कहीं अधिक शहरों में कमल खिलने से ट्रिपल इंजन सरकार के बढ़े दम पर भगवा दल के लिए अब मिशन 2024 की राह और आसान होती दिख रही है।

सीएम योगी ने बूथ स्‍तर तक बहाया पसीना

शानदार परिणाम ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए 2014 के नतीजे दोहराने की उम्मीद बढ़ा दी है। दरअसल, अगले लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल माने जाने वाले निकाय चुनाव को लेकर खासतौर से सत्ताधारी भाजपा ने अबकी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। लगभग 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश की एक-चौथाई आबादी के छोटे-बड़े शहरों तक में भगवा परचम फहराने के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर पार्टी संगठन के बूथ स्तर तक के पदाधिकारियों ने फील्ड में खूब पसीना बहाया।

पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों के दम पर कमल खिलाने की कोशिश

योगी ने 13 दिनों में ही 50 जनसभाएं की। योगी के कमान संभालने के साथ ही दोनों उप मुख्यमंत्रियों समेत मंत्रियों को नगर निगम क्षेत्रों का प्रभारी बनाया गया। प्रत्येक जिले में निकाय चुनाव के संयोजक-सह संयोजक नियुक्त किये गए। जमीनी स्तर पर पार्टी की चुनावी मुहिम को रफ्तार देने का दायित्व वार्ड और बूथ समितियों को सौंपा गया। पहली बार पार्टी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों वाले निकायों में भी पहुंची। जहां कभी खाता नहीं खुला वहां पार्टी ने पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों के दम पर कमल खिलाने की कोशिश की।

विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तरह बनाई न‍िकाय चुनाव की रणनीत‍ि

भाजपा की केंद्र या राज्य में बहुमत की सरकार न होने पर भी सूबे के निकायों में पार्टी का वर्चस्व रहा है। खासतौर से ज्यादातर नगर निगमों में पार्टी का ही दबदबा रहा है। हालांकि, वर्ष 2014 में केंद्र और फिर वर्ष 2017 में राज्य में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा पिछले निकाय चुनाव में वैसी सफलता हासिल करने में कामयाब नहीं रही थी। ऐसे में विधानसभा चुनाव में भगवा परचम फहराने के बाद से भाजपा की नजर निकाय चुनाव पर ही थी। वैसे तो निकाय चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही होते हैं, लेकिन भाजपा ने इसमें विजय की रणनीति विधानसभा और लोकसभा चुनावों की तरह बनाई।

द‍िखेगा ट्रिपल इंजन की सरकार का दम

निकायों पर पूरे दमखम के साथ कब्जा जमाने के लिए प्रचार के दौरान केंद्र व राज्य में डबल इंजन यानी एक ही पार्टी की सरकार होने के फायदे गिनाते हुए पार्टी नेता, शहरवासियों को समझाते रहे कि निकायों में भी समान विचारधारा के प्रतिनिधि चुनने से बनने वाली ट्रिपल इंजन की सरकार के दम पर चौतरफा विकास को और तेजी से धरातल पर उतारा जा सकेगा। सरकार जो पैसा देगी उससे ईमानदारी के साथ जमीन पर कार्य होते दिखाई देंगे।

लोकसभा चुनाव में भी विरोधियों की ओर शायद ही देखना चाहें प्रदेश की जनता

निकाय चुनाव में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन से साफ है कि शहरवासियों को कहीं न कहीं ट्रिपल इंजन सरकार के फायदे और ताकत का एहसास है। ऐसे में कहा जा सकता है कि ट्रिपल इंजन सरकार के दम पर अब भाजपा के लिए मिशन 2024 की राह और आसान होगी। ट्रिपल इंजन सरकार के दम का पूरा फायदा मिलता रहे इसके लिए प्रदेशवासी, लोकसभा चुनाव में भी विरोधियों की ओर शायद ही देखना चाहें।

सपा बसपा और कांग्रेस हुई धाराशायी

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में 80 लोकसभा सीटों में से सहयोगी संग 73 सीटें जीतने वाली भाजपा को पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के चलते 64 सीटों पर ही सफलता मिली थी। अब सपा-बसपा गठबंधन टूट चुका है। पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट पर सिमटने वाली बसपा निकाय चुनाव में भी धाराशायी हो गई है। तमाम दावों के बावजूद मुख्य विपक्षी पार्टी सपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के भी ऐसे नतीजे नहीं हैं जिससे लगे कि लोकसभा चुनाव में इनके द्वारा कोई कमाल किया जा सकता है।

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