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केदारनाथ धाम को सड़क मार्ग से जोड़ने की कवायद को एक बार फिर लगा झटका

केदारनाथ धाम को सड़क मार्ग से जोड़ने की कवायद को एक बार फिर झटका लगा है। केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष केदारनाथ धाम के लिए सड़क निर्माण की मांग उठाई थी।

चौमासी-कालीमठ तक सड़क निर्माण की योजना

पीएमओ ने इसका संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन से प्रस्ताव तैयार करने को कहा, लेकिन रामबाड़ा क्षेत्र में भूस्खलन जोन को देखते हुए अब सड़क मार्ग से केदारनाथ धाम को जोड़ने के बजाय सोनप्रयाग से चौमासी-कालीमठ तक सड़क निर्माण की योजना तैयार की जा रही है। ताकि गौरीकुंड से गुप्तकाशी तक वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था लागू कर वाहनों के दवाब को कम किया जा सके। केदारनाथ धाम के लिए सबसे पहले वर्ष 1978 में मोटर मार्ग निर्माण की कवायद शुरू हुई। तब गौरीकुंड से सड़क कटिंग का कार्य भी शुरू कर दिया गया था, लेकिन वन अधिनियम इसमें अवरोधक बन गया। तब से लेकर अब तक केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित, स्थानीय निवासी व व्यापारी लगातार धाम को सड़क मार्ग से जोड़ने की मांग उठाते आ रहे हैं, लेकिन सड़क निर्माण का कार्य आगे नहीं बढ़ पाया।

शैलारानी रावत ने पीएम मोदी के सामने रखी थी मांग

बीते वर्ष अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केदारनाथ धाम पहुंचने पर विधायक शैलारानी रावत ने सड़क निर्माण की मांग उनके सम्मुख रखी थी। जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए पीएमओ ने जिला प्रशासन को प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा। लेकिन, अब एक बार फिर धाम को सड़क मार्ग से जोड़ने की कवायद ठंडे बस्ते में चली गई है। दरअसल, रामबाड़ा में भूस्खलन जोन यहां सड़क निर्माण में सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा है। लिहाजा अब केदारनाथ धाम को सीधे सड़क से जोड़ने के बजाय सोनप्रयाग से चौमासी होते हुए कालीमठ घाटी को केदारनाथ यात्रा मार्ग से जोड़ा जाएगा। यात्रा के दौरान गुप्तकाशी से गौरीकुंड तक वाहनों का दबाव काफी बढ़ जाता है, जिससे इस पूरे क्षेत्र में कई-कई घंटे जाम लगा रहता है। सोनप्रयाग से सड़क मार्ग का निर्माण कर इस पूरे क्षेत्र में वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था लागू की जाएगी, ताकि जाम पर नियंत्रण पाया जा सके। सोनप्रयाग से रोपवे के जरिये या फिर गौरीकुंड से 16 किमी पैदल चलकर ही तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंच सकेंगे। ‘चौमासी से सोनप्रयाग को सड़क मार्ग से जोड़ने पर मंथन चल रहा है। इसके लिए सर्वे कराया जाएगा। पूर्व में रामबाड़ा से चौमासी तक सड़क निर्माण पर विचार किया जा रहा था, लेकिन इस क्षेत्र में भूस्खलन जोन सक्रिय होने के कारण प्रस्ताव पर अमल नहीं हो सका।’

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