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Undertrial Dies Suspiciously : महराजगंज जिला जेल में विचाराधीन बंदी हरिवंश की संदिग्ध मौत, प्रशासनिक जांच के आदेश से मचा हड़कंप

महराजगंज जनपद से एक चौंकाने वाली और संवेदनशील खबर सामने आई है। जिला जेल महराजगंज में विचाराधीन बंदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाने से हड़कंप मच गया है। मृतक की पहचान हरिवंश (उम्र लगभग 35 वर्ष), पुत्र बुद्धिराम, निवासी ग्राम सेमरहवा, तहसील नौतनवा, जनपद महराजगंज के रूप में हुई है।

जानकारी के अनुसार, हरिवंश को दुष्कर्म के एक मामले में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया था, और वह 6 दिसंबर 2025 से महराजगंज जिला कारागार में बंद था। बताया जा रहा है कि 16 दिसंबर की सुबह उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद जेल प्रशासन ने उसे तत्काल जिला अस्पताल महराजगंज में भर्ती कराया।

इलाज के दौरान हरिवंश की मौत हो गई, जिससे जेल और अस्पताल प्रशासन दोनों में अफरा-तफरी मच गई। मौत की खबर जैसे ही बाहर आई, जेल परिसर से लेकर मृतक के गांव तक सन्नाटा पसर गया। परिजनों को सूचना मिलने पर अस्पताल पहुंचे तो वहां आक्रोश और शोक दोनों का माहौल था।

मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन और पुलिस के उच्च अधिकारी मौके पर पहुंचे। मजिस्ट्रेट जांच और पुलिस जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है ताकि मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सके।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि —

“मौत का असली कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा। हर पहलू की गहन जांच की जा रही है। फिलहाल मामले को गंभीरता से लिया गया है।”

इस घटना पर जेल प्रशासन ने बयान जारी करते हुए कहा कि—

“बंदी हरिवंश को जब तबीयत खराब हुई, तो तुरंत उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। उसे समय पर चिकित्सीय सुविधा दी गई थी, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जेल प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई है।”

हालांकि, इस बयान के बाद भी जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों और कुछ सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि जेलों में अक्सर बंदियों की तबीयत बिगड़ने के बावजूद समय पर उचित इलाज नहीं मिलता, जिससे ऐसी घटनाएं होती है

मृतक हरिवंश के गांव सेमरहवा में मातम का माहौल है। परिजनों का कहना है कि हरिवंश पूरी तरह स्वस्थ था, और उसे जेल में उचित इलाज नहीं दिया गया। परिवार का आरोप है कि मामले की लीपापोती की जा रही है।

हरिवंश के भाई ने भावुक होकर कहा—

“हमारे भाई को कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। अगर सही समय पर इलाज मिला होता तो उसकी जान बच सकती थी। हमें न्याय चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।”

परिवार ने प्रशासन से आर्थिक सहायता और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मेडिकल बोर्ड की टीम ने जांच के लिए शव का विस्तृत परीक्षण किया है। सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट में शरीर पर बाहरी चोट के स्पष्ट निशान नहीं मिले हैं, लेकिन आंतरिक जांच और विसरा रिपोर्ट आने के बाद ही मृत्यु का कारण साफ़ हो सकेगा।

हरिवंश का अंतिम संस्कार बुधवार को मोहनवा घाट पर किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण, रिश्तेदार और स्थानीय नेता मौजूद रहे। प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।

स्थानीय मानवाधिकार और सामाजिक संगठनों ने इस घटना पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि जेल में बंद कैदियों या विचाराधीन बंदियों की सुरक्षा राज्य की ज़िम्मेदारी होती है। ऐसी घटनाएं जेल प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम तिवारी ने कहा—

“यह पहली बार नहीं है जब किसी बंदी की जेल में मौत हुई है। प्रशासन को जेलों में स्वास्थ्य व्यवस्था और निगरानी सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है।”

महराजगंज के जिलाधिकारी ने बताया कि इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

हरिवंश की मौत ने न केवल उसके परिवार को गहरे शोक में डाल दिया है, बल्कि एक बार फिर जेलों में बंदियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब सबकी निगाहें पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्रशासनिक जांच पर टिकी हैं, जिससे यह साफ हो सके कि यह प्राकृतिक मौत थी या किसी लापरवाही का परिणाम।

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