बलरामपुर। राप्ती नदी का घटता जलस्तर और लगातार हो रही तेज कटान अब किसानों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। बलरामपुर मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर बेलवा सुल्तान जोत गांव में कटान की मार सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है। यहां नदी ने अब तक करीब 500 बीघा उपजाऊ खेत निगल लिए हैं, जिनमें धान और गन्ने की फसल पूरी तरह तबाह हो चुकी है।
खेती ही सहारा थी, अब जमीन भी नदी में समाई
ग्रामीण किसानों का कहना है कि उनकी आजीविका का एकमात्र साधन खेती थी। सालभर की मेहनत और पूंजी से खड़ी की गई फसल अब नदी की तेज धार में समा गई। कई परिवारों के पास इतनी जमीन भी नहीं बची कि वे अगली बार बोआई कर सकें। हालात यह हैं कि दर्जनों किसान अब पलायन की तैयारी कर रहे हैं।
ग्राम प्रधान और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि आपदा की इस गंभीर स्थिति में न तो ग्राम प्रधान ने कोई पहल की और न ही प्रशासन ने समय रहते मदद पहुंचाई। किसानों का कहना है कि न तो नुकसान का सर्वे कराया गया और न ही मुआवजे की कोई व्यवस्था की गई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारी सिर्फ कागज़ों पर काम कर रहे हैं, जबकि हकीकत में गांव वालों की सुनने वाला कोई नहीं है।
प्रशासन ने दिलाया भरोसा
हालांकि इस पूरे मामले पर जिलाधिकारी पवन अग्रवाल ने कहा है कि प्रभावित क्षेत्रों का जल्द निरीक्षण कराया जाएगा। उन्होंने किसानों को हर संभव सरकारी मदद दिलाने का आश्वासन दिया है। डीएम का कहना है कि कटान प्रभावित किसानों की सूची तैयार कर मुआवजे और पुनर्वास पर काम किया जाएगा।
गांव के सामने बड़ी चुनौती
राप्ती नदी की कटान हर साल किसानों के लिए संकट खड़ा करती है। लेकिन इस बार स्थिति और भयावह हो गई है। कई परिवारों का पूरा का पूरा जीवन-यापन दांव पर लग गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द रोकथाम और मदद के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए, तो उन्हें गांव छोड़कर पलायन करना ही पड़ेगा।
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