इजरायली सेना ने गाजा में युद्ध के लिए निर्धारित कानून का लगातार उल्लंघन किया है और आमजनों की सुरक्षा के लिए सावधानी नहीं बरती। सेना कार्रवाई के दौरान लड़ाकों और आमजनों के बीच अंतर करने में विफल रही। इसके कारण गाजा में बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और निर्दोष पुरुष मारे गए। यह कहना है संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का। इजरायल ने मानवाधिकार परिषद की रिपोर्ट को खारिज किया है और इसे भेदभावपूर्ण बताया है।
इजरायली सेना के छह हमलों की जांच की गई
संयुक्त राष्ट्र के जांच दल ने गाजा में इजरायली सेना के छह हमलों की जांच की। इनमें पाया कि नागरिक ठिकानों पर हमला किया गया और उनमें बड़ी संख्या में आमजन मारे गए। रिपोर्ट में कहा गया कि नागरिक ठिकानों पर हमले व्यवस्थित तरीके व रणनीति बनाकर किए गए और इनके लिए बिल्कुल भी सावधानी नहीं बरती गई।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख वाकर तुर्क ने कहा, इजरायली बमबारी में युद्ध के नियमों का पालन किया जाना चाहिए था और आमजनों के नुकसान को कम करने के तरीकों को व्यवहार में लाया जाना चाहिए था।
गाजा में मारे गए फलस्तीनियों की संख्या अत्यधिक
जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के विशेषज्ञों की नवी पिल्लै की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया कि युद्ध अपराधों के लिए हमास और इजरायली सेना, दोनों जिम्मेदार हैं। लेकिन इसमें इजरायल का दोष गंभीर है, क्योंकि उसने मानवता के खिलाफ अपराध को अंजाम दिया है। गाजा में मारे गए फलस्तीनियों की संख्या अत्यधिक है। वहां पर नागरिक ठिकानों और सुविधाओं की जैसी बर्बादी हुई है उससे लगता है कि फलस्तीनियों को अधिकतम नुकसान पहुंचाने की नीयत से हमले किए गए।
इस बीच गाजा में जारी इजरायली हमलों में अभी तक 37,400 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इस समय मिस्त्र सीमा पर बसे शहर रफाह में लड़ाई जारी है लेकिन गाजा के अन्य इलाकों में भी जब-तब हवाई हमले हो रहे हैं।