विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बिहार को बड़ी सौगात दी है। बिहार के नागी और नकटी बर्ड सेंचुरी को रामसर साइट में शामिल करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही रामसर साइट में शामिल होने वाले देश के वेटलैंड की संख्या अब 82 हो गई है।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का दावा है कि इस पहल से देश में बढ़ते मरुस्थलीकरण को रोकने में मदद मिलेगी। मंत्रालय के मुताबिक रामसर साइट में शामिल किए बिहार के दोनों ही सेंचुरी का कुल क्षेत्रफल 544.37 हेक्टेयर है।
इसके साथ ही देश में रामसर साइट का कुल क्षेत्रफल अब बढ़कर 13.32 लाख हेक्टेयर से अधिक का हो गया है।यह ऐसी नम भूमि होती है, जहां बारिश के समय पानी जमा होता है। साथ ही इस क्षेत्र में पक्षियों की बड़ी संख्या में पजाति भी पायी जाती है। देश में पिछले कुछ सालों में बड़ी संख्या में ऐसे अभयारण्यों को रामसर साइट में शामिल किया गया है। इस दर्जे के साथ ही इनके संरक्षण के लिए यूनेस्को मदद देता है।
क्या है रामसर साइट?
रामसर साइट रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की एक नम भूमि होती है, जिसे वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित ”वेटलैंड्स पर कन्वेंशन” के रूप में भी जाना जाता है और इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहां उस वर्ष सम्मेलन पर सभी देशों ने हस्ताक्षर किये गए थे। रामसर साइट की पहचान दुनिया में नम यानी आर्द्र भूमि के रूप में होती है। इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व है। इसमें ऐसी आर्द्र भूमि शामिल की जाती है, जहां जल में रहने वाले पक्षी भी बड़ी संख्या में रहते है। किसी भी नम भूमि के रामसर साइट में शामिल होने से उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर से सहयोग भी प्रदान किया जाता है।