रूस ने बेलारूस में अपने परमाणु हथियारों की तैनाती का लिया फैसला
यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध को करीब डेढ़ साल का वक्त बीत गया है, लेकिन कोई समाधान निकलने की बजाय यह शक्ति प्रदर्शन का मसला बनता जा रहा है। एक तरफ फिनलैंड जैसे रूस की सीमा से लगते देश को नाटो में एंट्री मिली है तो वहीं यूक्रेन को अमेरिका, जर्मनी जैसे देश हथियार भी मुहैया करा रहे हैं। इस बीच रूस ने जंग में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए बेलारूस से करार कर लिया है। इसके तहत बेलारूस में व्लादिमीर पुतिन सरकार रणनीतिक परमाणु हथियारों की तैनाती करेगी। रूस ने बेलारूस से इस संबंध में करार कर लिया है और अगले एक महीने के अंदर यह काम पूरा हो सकता है।
रूस और बेलारूस तीन नाटो देशों के साथ अपनी सीमाएं साझा करते हैं। ऐसे में दोनों की ओर से सीमाओं पर परमाणु हथियारों की तैनाती करने से तनाव बढ़ेगा। बेलारूस के अपने समकक्ष से मुलाकात के दौरान रूसी रक्षा मंत्री सेरगे शोइगू ने कहा, ‘पश्चिमी देश सामूहिक रूप से एकजुट होकर रूस और उसके मित्र देशों के खिलाफ अघोषित युद्ध छेड़ रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों की पूरी कोशिश है कि यूक्रेन के साथ जंग को लंबे वक्त तक बने रहने दिया जाए। उन्होंने कहा कि हमने बेलारूस के साथ करार कर लिया है। इसके तहत एक निश्चित स्थान पर परमाणु हथियारों की तैनाती की जाएगी।
शोइगू ने कहा कि इस्कंदर-एम मिसाइलों को बेलारूस को सौंप दिया है। ये मिसाइलें किसी स्थान पर रखी जाएंगी। इनकी विशेषता ये है कि इनके माध्यम से परंपरागत हथियारों के अलावा परमाणु वेपन्स को भी ले जाया जा सकता है। 1991 के बाद यह पहला मौका है, जब रूस ने देश से बाहर अपने परमाणु हथियारों को तैनात करने का फैसला लिया है। बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार दोहरा चुके हैं कि हमारे पास यदि परमाणु हथियारों का जखीरा है तो फिर हम अपने अस्तित्व के लिए उनका इस्तेमाल कर सकते है।
बेलारूस भी बढ़ाएगा नाटो देशों की टेंशन
बेलारूस तीन नाटों देशों से अपनी सीमा साझा करता है और रूस का करीबी मुल्क है। ऐसे में बेलारूस में हथियारों की तैनाती नाटो देशों की टेंशन बढ़ा देगी। बता दें कि रूस अपनी करीब ढाई हजार किलोमीटर सीमा नाटो देशों के साथ साझा करता है। पोलैंड, लिथुआनिया, लाटविया, एस्टोनिया जैसे देशों के साथ रूस की सीमा लगती है, जो नाटो के मेंबर हैं। हाल ही में फिनलैंड ने भी नाटो की सदस्यता ली है।