रायबरेली के मुंशीगंज स्थित एम्स (AIIMS) एक बार फिर विवादों में है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और संवेदनहीनता का एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिले के कोतवाली नगर क्षेत्र के निराला नगर की रहने वाली महिला ने एम्स के इमरजेंसी विभाग के स्टाफ पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
बताया जा रहा है कि महिला के बेटे की हालत संदिग्ध परिस्थितियों में अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे पहले जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने युवक की गंभीर स्थिति को देखते हुए तत्काल एम्स रेफर कर दिया। लेकिन जब युवक को एम्स मुंशीगंज की इमरजेंसी में लाया गया, तो वहां मौजूद स्टाफ ने न तो समय पर इलाज शुरू किया और न ही गंभीरता दिखाई।
मां का दर्द छलका – “मेरा बेटा तड़पता रहा, डॉक्टर हंसते रहे”
मृतक युवक की मां का कहना है कि जब वह अपने बेटे को लेकर एम्स पहुंची, तो वहां का इमरजेंसी स्टाफ उसका इलाज करने की बजाय मजाक कर रहा था। महिला ने आरोप लगाते हुए बताया कि स्टाफ में मौजूद कुछ लोगों ने उनके बेटे की हालत पर हंसते हुए कहा –
“ये मेरा एक्सपेरिमेंट है, ये मेरा एक्सपेरिमेंट है”।
इतना कहने के बाद भी न तो डॉक्टरों ने युवक की हालत पर गंभीरता दिखाई और न ही तुरंत कोई प्राथमिक उपचार किया गया। महिला ने कहा कि अगर समय रहते इलाज शुरू हो गया होता, तो शायद उसका बेटा आज जिंदा होता।
मामले ने पकड़ा तूल, परिजनों ने की कार्रवाई की मांग
परिजनों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग की यह घोर लापरवाही हत्या के समान है। महिला ने मीडिया से बात करते हुए कहा –
“जिस तरह से मेरे बेटे के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ, वो किसी और मां के साथ न हो, यही मेरी मांग है।”
परिजनों ने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी मेडिकल स्टाफ पर कड़ी कार्रवाई की जाए। परिजन और स्थानीय लोग प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
एम्स प्रबंधन की चुप्पी पर उठे सवाल
वहीं दूसरी ओर, एम्स प्रबंधन की ओर से इस पूरे मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। अस्पताल प्रशासन की चुप्पी ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है।
स्थानीय प्रशासन से अपेक्षा
अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में किस तरह से संज्ञान लेता है और दोषियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं।
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