मंत्री भुजबल ने आगे बताया कि इस बैठक में 26 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा प्रकाशित मसौदे को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे की मांगों को स्वीकार कर लिया गया था।
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मामला तूल पकड़ रहा है। इसकी अधिसूचना के खिलाफ ओबीसी नेताओं ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। इस संबंध में मुंबई में छगन भुजबल के आवास पर ओबीसी नेताओं की बैठक हुई, जिसमें यह तय हुआ कि राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ एक फरवरी को विधायकों, सांसदों और तहसीलदारों के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। साथ ही पिछड़ा वर्ग आयोग, न्याय शिंदे कमेटी को खत्म करने की मांग की गई।
मंत्री भुजबल ने आगे बताया कि इस बैठक में 26 जनवरी को मुख्यमंत्री द्वारा प्रकाशित मसौदे को रद्द करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे की मांगों को स्वीकार कर लिया गया था।
छगन भुजबल ने कहा कि वह ओबीसी अधिकारों के लिए यहीं नहीं रुकेंगे बल्कि अदालती लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार हैं। नेताओं ने दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि सभी ओबीसी को पार्टी की भागीदारी को छोड़कर एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
लड़ाई योजनाबद्ध तरीके से लड़ी जाएगी
सूत्रों ने बताया कि अदालती लड़ाई भी योजनाबद्ध तरीके से लड़ी जायेगी। यह घोषणा सरकार द्वारा उनकी मांगें स्वीकार किए जाने के बाद जारांगे द्वारा मराठा आरक्षण के लिए अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त करने के एक दिन बाद आई है, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जब तक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें ओबीसी द्वारा प्राप्त सभी लाभ दिए जाएंगे।
300 से अधिक ओबीसी जातियों का हो सकता है नुकसान
भुजबल ने बताया, ‘हमें बताया गया था कि ओबीसी के आरक्षण को नहीं छुआ जाएगा, लेकिन राज्य सरकार अब मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करके उन्हें पिछले दरवाजे से प्रवेश देने की कोशिश कर रही है। इस कदम से 300 से अधिक ओबीसी जातियों से आरक्षण का लाभ छीन लिया जाएगा और इसे केवल मराठा ही लेंगे। बता दें कि इस बैठक में भाजपा एमएलसी राम शिंदे और गोपीचंद पडलकर भी मौजूद थे और उन्होंने भुजबल की मांगों और प्रस्तावों को अपना समर्थन दिया।
Hind News 24×7 | हिन्द न्यूज़ Latest News & Information Portal