जालौन जनपद के कैलिया थाना क्षेत्र अंतर्गत कोंच ब्लॉक के भेंपता गांव से एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां ग्राम प्रधान की दबंगई और उत्पीड़न से त्रस्त होकर ग्रामीणों का जीवन नरक बन गया है। गांव के हालात इतने बदतर हो गए हैं कि करीब दो दर्जन परिवार गांव छोड़कर पलायन को मजबूर हो चुके हैं। परेशान ग्रामीण सोमवार को भारी संख्या में एसपी कार्यालय पहुंचे और ग्राम प्रधान राघवेंद्र यादव व उसके सहयोगी राधे महाराज के खिलाफ शिकायती पत्र सौंपा।
ग्राम प्रधान पर फर्जीवाड़े और धमकियों के गंभीर आरोप
ग्रामीणों ने पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार को बताया कि ग्राम प्रधान राघवेंद्र यादव द्वारा गांव में किए गए विकास कार्यों में भारी फर्जीवाड़ा किया गया है। जब इसकी शिकायत ग्रामीणों ने संबंधित उच्च अधिकारियों से की, तो प्रधान और उसके साथियों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया।
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान व उसके सहयोगी राधे महाराज ने पहले तो शिकायत करने वाले ग्रामीणों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करवा दिए, फिर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। इतना ही नहीं, महिलाओं को मोबाइल पर भद्दी-भद्दी गालियां देकर अपमानित किया गया और शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया गया।
डर और दहशत में जी रहे हैं ग्रामीण, पलायन की नौबत
पीड़ितों का कहना है कि ग्राम प्रधान और उसके सहयोगी लगातार गांव के लोगों को धमका रहे हैं कि अगर कोई आवाज उठाएगा या शिकायत वापस नहीं ली गई तो उसे गांव में रहने नहीं दिया जाएगा। इसी डर और उत्पीड़न के कारण गांव के लगभग दो दर्जन परिवार पहले ही गांव छोड़कर पलायन कर चुके हैं।
एसपी से लगाई न्याय की गुहार
पीड़ित ग्रामीणों ने एसपी से मिलकर न्याय की गुहार लगाई और प्रधान व उसके गुर्गों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की। शिकायती पत्र देने वालों में परशुराम पाल, साधूराम, भगवान दयाल, सुनीता देवी, रमन देवी, सुकुमारी, शिवराम सहित कई अन्य ग्रामीण शामिल थे।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
अब बड़ा सवाल यह है कि जब एक निर्वाचित ग्राम प्रधान ही ग्रामीणों की जान का दुश्मन बन जाए, तो न्याय किससे मांगा जाए? प्रशासन को चाहिए कि मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल जांच कर सख्त कार्यवाही करे, ताकि गांव में कानून का राज स्थापित हो सके और पलायन कर चुके लोग दोबारा सुरक्षित महसूस कर सकें।
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