रामपुर: स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जिले में स्वास्थ्य विभाग ने अवैध और बिना पंजीकरण के चल रहे अस्पतालों व पैथोलॉजी लैब पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में गुरुवार को रामपुर शहर के देव हॉस्पिटल पर स्वास्थ्य विभाग की बड़ी कार्रवाई हुई।
सूत्रों के अनुसार, देव हॉस्पिटल बिना किसी पंजीकरण के अवैध रूप से संचालित हो रहा था। इसी दौरान यहां एक प्रसूता महिला का ऑपरेशन भी किया गया था, जिसकी सूचना विभाग को मिली। शिकायत की पुष्टि होते ही स्वास्थ्य विभाग की नोडल टीम – डिप्टी सीएमओ डॉ. वरुण और डॉ. देवेश चौधरी के नेतृत्व में छापेमारी की गई। मौके पर अवैध संचालन पाए जाने पर देव हॉस्पिटल को तत्काल सीज कर दिया गया और थाना सिविल लाइन में एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर भी दे दी गई है।
दो दिनों में पांच अस्पतालों पर गिरी गाज, एक पैथोलॉजी लैब बंद
रामपुर जिले में स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में व्यापक अभियान छेड़ा है। पिछले दो दिनों में ही पांच अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है और एक पैथोलॉजी लैब को बंद किया गया है। विभाग का मानना है कि बिना पंजीकरण और बिना योग्य चिकित्सकों के इस तरह अस्पताल चलाना गंभीर अपराध है और मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ है।
सीएमओ ने दी जानकारी, कहा – अभियान जारी रहेगा
रामपुर की मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. दीपा सिंह ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि जिले में कई अस्पताल बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे हैं और उनमें पंजीकृत चिकित्सक मौजूद नहीं रहते। यहां अवैध तरीके से इलाज और ऑपरेशन किए जा रहे थे।
डॉ. सिंह ने कहा – “हमने ऐसे अस्पतालों और पैथोलॉजी लैब के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। संबंधित अस्पतालों को सील कराया जा रहा है और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है। यह अभियान आगे भी निरंतर जारी रहेगा ताकि किसी भी मरीज की जान खतरे में न पड़े।”
निजी डॉक्टर पर भी कार्रवाई की तैयारी
स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह भी सामने आया है कि कुछ निजी डॉक्टर फर्जी अस्पतालों में ऑपरेशन कर रहे हैं। मामले में MBBS सर्जन डॉ. आर.के. यादव का नाम सामने आया है। विभाग ने उन्हें नोटिस भेजने की तैयारी की है। डॉ. यादव पर आरोप है कि उन्होंने देव हॉस्पिटल जैसे अपंजीकृत अस्पताल में जाकर ऑपरेशन किया। मामले की जांच के बाद उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मरीजों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता
रामपुर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस पूरे अभियान का उद्देश्य केवल और केवल आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अवैध और फर्जी अस्पतालों की वजह से कई बार गंभीर हादसे और मरीजों की मौत तक हो जाती है। इसलिए विभाग ऐसे सभी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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