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वायुसेना की ताकत बढ़ी: बाड़मेर में ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ का उद्घाटन

बाड़मेर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी आज राजस्थान के बाड़मेर में हाइवे पर बने देश के पहले एयरस्ट्रिप (इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड) का उद्घाटन किया.

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सामरिक लिहाज से अहम इस हवाई पट्टी का उद्घाटन C-130 J हरक्यूलिस की इमरजैंसी लैंडिंग ड्रिल से हुआ.

विमान में राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और बिपिन रावत सवार थे

वहीं इमरजेंसी लैंडिंग ड्रिल के दौरान हरक्यूलिस विमान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत भी सवार थे. इस दौरान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया भी मौजूद थे.

कई विमानों ने की लैंडिंग

यह एनएच-925ए राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारतीय वायुसेना के विमानों के लिए बना पहला ‘इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड’ है. दोनों मंत्रियों ने ‘एनएच-925’ पर तैयार आपातकालीन लैंडिंग सुविधा पर कई विमानों के संचालन को देखा.

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सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान और आईएएफ के एएन-32 सैन्य परिवहन विमान और एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर ने भी ईएलएफ पर ‘इमरजेंसी लैंडिंग’ की.

भारतमाला परियोजना के तहत मिली यह सुविधा

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भारतीय वायु सेना के लिए आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने के वास्ते एनएच-925ए के सट्टा-गंधव खंड के तीन किलोमीटर के हिस्से पर ‘ईएलएफ’ का निर्माण किया है.

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यह सुविधा भारतमाला परियोजना के तहत गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित ‘टू-लेन पेव्ड शोल्डर’ का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है और इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है. ‘पेव्ड शोल्डर’ उस भाग को कहा जाता है, जो राजमार्ग के उस हिस्से के पास हो जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं.

बयान में कहा गया कि, यह परियोजना अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाड़मेर और जालौर जिलों के गांवों के बीच सम्पर्क में सुधार करेगी.

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इसके पश्चिमी सीमा क्षेत्र में स्थित होने से भारतीय सेना को निगरानी करने में मदद के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में भी सहायता मिलेगी.

ऐसा पहली बार होगा जब भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग का इस्तेमाल आपात स्थिति में विमान उतारने के लिए किया जाएगा.

19 महीने के अंदर पूरा हुआ ईएलएफ का निर्माण

ईएलएफ का निर्माण 19 महीने के अंदर पूरा किया गया है. इसका निर्माण कार्य जुलाई 2019 में शुरू किया गया था और जनवरी 2021 में यह सम्पन्न हो गया.

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आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में ‘जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ ने इसका निर्माण किया है.

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