कन्नौज। किसानों की बढ़ती समस्याओं और सरकार की नीतियों से उपजे असंतोष को लेकर भारतीय किसान यूनियन (किसान) ने बड़ा कदम उठाया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर प्रदेश भर में किसानों की आवाज बुलंद करने के अभियान के तहत, आज कन्नौज जिले में यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। जिलामहासचिव आनंद तिवारी के नेतृत्व में किसानों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा, जो माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को संबोधित है।
मुख्य मांगें और मुद्दे:
किसानों ने ज्ञापन के माध्यम से सरकार के सामने कई अहम मुद्दे रखे। इनमें प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं—
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डीएपी और यूरिया खाद की कमी दूर हो: प्रदेश भर में डीएपी और यूरिया खाद की भारी कमी की समस्या लगातार बढ़ रही है। किसानों ने कालाबाजारी पर तुरंत रोक लगाने और पर्याप्त खाद उपलब्ध कराने की मांग की।
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निर्वाध बिजली आपूर्ति: किसानों ने कहा कि सिंचाई कार्य के लिए उन्हें रोजाना कम से कम 15 घंटे लगातार बिजली आपूर्ति मिलनी चाहिए।
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विद्युत विभाग का निजीकरण रोका जाए: किसानों ने स्मार्ट मीटर योजना और विद्युत विभाग के निजीकरण का कड़ा विरोध किया। उनका कहना है कि इससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
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नहर एवं रजवाहों का रखरखाव: नहरों और रजवाहों की पटरियों को मानक के अनुसार बनाया जाए ताकि हर वर्ष होने वाली फसल बर्बादी को रोका जा सके।
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को सरल बनाया जाए: किसानों ने मांग की कि योजना के नियमों को इतना आसान किया जाए कि हर जरूरतमंद किसान को इसका लाभ मिले।
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छुट्टा जानवरों पर नियंत्रण: छुट्टा जानवरों को गौशालाओं में भेजकर उनकी सीसीटीवी से निगरानी की जाए और इसके लिए जिम्मेदारी तय की जाए।
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रेट लिस्ट की अनिवार्यता: खाद के रिटेलर और डिस्ट्रीब्यूटर अपनी दुकानों पर खरीद-बिक्री की रेट लिस्ट अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करें, ताकि कालाबाजारी पर रोक लग सके।
किसान यूनियन की चेतावनी:
यूनियन ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इन मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की तो प्रदेशव्यापी चक्का जाम और आंदोलन की रणनीति अपनाई जाएगी। यूनियन नेताओं ने कहा कि यदि आंदोलन की स्थिति बनी, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।
नेताओं का बयान:
जिलामहासचिव आनंद तिवारी ने कहा, “किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार मौन है। खाद की कमी, बिजली संकट, छुट्टा जानवरों से फसल बर्बादी, और फसल बीमा योजना की जटिल प्रक्रिया किसानों को बर्बादी की ओर धकेल रही है। अगर सरकार ने समय रहते समाधान नहीं निकाला तो भारतीय किसान यूनियन (किसान) प्रदेशव्यापी आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा।”
स्थानीय किसानों की प्रतिक्रिया:
प्रतिनिधिमंडल के साथ मौजूद किसानों ने बताया कि खेती के सीजन में खाद और बिजली की कमी ने उनकी मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं। कई किसानों ने आरोप लगाया कि कालाबाजारी के कारण उन्हें खाद ऊंचे दामों पर खरीदनी पड़ रही है। इसके अलावा, छुट्टा पशुओं से फसल को लगातार नुकसान हो रहा है, और नहरों की दुर्दशा के कारण सिंचाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
अगले कदम:
भारतीय किसान यूनियन ने संकेत दिया है कि यदि सरकार ने अगले कुछ दिनों में ठोस कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन की तारीख और रूपरेखा जल्द घोषित की जाएगी। यह कदम प्रदेशभर के किसानों के लिए आंदोलन की दिशा तय कर सकता है।
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