कन्नौज: पर्यावरण संरक्षण और हरित अभियान के तमाम सरकारी दावों के बीच जिले के छिबरामऊ कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत सिकंदरपुर चौकी के नगला सदारी गांव में हरे-भरे वृक्षों का अवैध कटान बड़े पैमाने पर जारी है। सूत्रों के अनुसार, बीते एक सप्ताह में गांव और आसपास के क्षेत्रों में सैकड़ों हरे पेड़ों को बेरहमी से काट डाला गया।
गांव के लोगों का कहना है कि वन माफिया और कुछ वन विभाग कर्मियों की मिलीभगत से यह काला कारोबार खुलेआम चल रहा है। बताया जा रहा है कि सदरपुर निवासी नीरज यादव, जो खुद को वन विभाग का कर्मचारी बताता है, ठेकेदारों से अवैध वसूली करता है और हरे पेड़ों की कटाई में संरक्षण प्रदान करता है। स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि अवैध लेन-देन के चलते वन माफियाओं को किसी का डर नहीं है।
सरकारी दावों को लग रहा पलीता
एक ओर सरकार लगातार “वृक्ष लगाओ, पर्यावरण बचाओ” जैसे अभियानों के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही है। वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर हरे-भरे वृक्षों को काटकर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह सब वन विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों और माफियाओं की सांठगांठ के चलते संभव हो पा रहा है।
अधिकारियों को नहीं भनक
स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार हो रही अवैध कटाई के बावजूद उच्च अधिकारी पूरी तरह से अनभिज्ञ बने हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे वन विभाग के अंदर ही कोई बड़ा नेटवर्क सक्रिय है, जो इस पूरे खेल को अंजाम दे रहा है। अवैध कटान के बदले में भारी-भरकम रकम वसूली जाने की बात भी सामने आई है।
पर्यावरण पर संकट
हरे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा बढ़ता जा रहा है। जहां सरकार ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण रोकने के लिए प्रयासरत है, वहीं वन माफियाओं की मनमानी और वन विभाग की लापरवाही से धरती की हरियाली उजड़ रही है।
ग्रामीणों की मांग
गांव नगला सदारी और आसपास के क्षेत्रों के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री और जिले के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि इस मामले में तत्काल संज्ञान लेकर दोषी वन विभाग कर्मचारियों और वन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके और ऐसे काले कारोबार पर रोक लग सके।
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