सिसवा ब्लॉक की ग्राम पंचायत हेवती में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत स्तर पर तैनात रोजगार सेवक और मेट पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि मनरेगा के अंतर्गत एनएमएमएस एप पर मजदूरों की हाजिरी तो दर्ज की गई, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य या तो हुआ ही नहीं या फिर नाममात्र का किया गया। इस पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है।
ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत हेवती में छह अलग-अलग स्थलों पर चकबंध और मिट्टी कार्य के नाम पर 3 दिसंबर से 16 दिसंबर तक मस्टररोल जारी किया गया था। हैरानी की बात यह है कि इन्हीं कार्यों पर पूर्व में भी लगभग 2 लाख 53 हजार रुपये का भुगतान एमआईएस सिस्टम के माध्यम से किया जा चुका है। जब ग्रामीणों ने मौके पर जाकर स्थिति देखी तो पाया गया कि मजदूरों की दर्ज हाजिरी के अनुरूप कार्यस्थलों पर काम नजर नहीं आया।
ग्रामीणों का आरोप है कि कई मजदूरों की हाजिरी एनएमएमएस एप पर घर बैठे ही भर दी जाती है। वास्तविकता यह है कि कार्यस्थल पर न तो उतने मजदूर दिखाई देते हैं और न ही उतना काम हुआ है, जितना कागजों में दर्शाया गया है। कई जगहों पर सिर्फ घास छिलाई या मामूली मिट्टी डालकर औपचारिकता पूरी कर ली गई, जबकि भुगतान पूरा निकाल लिया गया।
ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा जैसी गरीबों को रोजगार देने वाली जनकल्याणकारी योजना में इस तरह का फर्जीवाड़ा बेहद गंभीर मामला है। उनका आरोप है कि ब्लॉक स्तर के अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण न किए जाने और लापरवाही बरतने के कारण ऐसे घोटाले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यदि समय-समय पर स्थलीय जांच होती, तो यह अनियमितता सामने आने से पहले ही रोकी जा सकती थी।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है। साथ ही दोषी पाए जाने वाले ग्राम पंचायत कर्मियों, रोजगार सेवक, मेट और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो मनरेगा योजना का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा और गरीब मजदूरों को उनका हक नहीं मिल पाएगा।
फिलहाल ग्राम पंचायत हेवती में मनरेगा कार्यों को लेकर उठे सवालों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस पूरे मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या दोषियों पर कार्रवाई कर मनरेगा योजना की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बहाल की जा सकेगी या नहीं।
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