रिपोर्टर – आशीष गुप्ता / हरदोई
हरदोई में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। जिले में माँ-बच्चे की सुरक्षा के लिए चलाई जा रही योजनाओं और सरकारी दावों के बीच हकीकत बेहद दर्दनाक नजर आई, जब एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान न तो एम्बुलेंस मिली और न ही अस्पताल पहुंचने पर समय पर स्ट्रेचर। महिला ने मजबूरी में ई-रिक्शा पर ही बच्चे को जन्म दिया। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी सच्चाई पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ई-रिक्शा पर ही हो गया प्रसव
कोतवाली देहात क्षेत्र के मोहलिया शिवपार निवासी सर्वेश कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी हेमलता को सुबह करीब 10 बजे तेज प्रसव पीड़ा शुरू हुई। उन्होंने तुरंत एम्बुलेंस सेवा 108 पर कॉल कर मदद मांगी, लेकिन कई बार फोन करने के बावजूद एम्बुलेंस नहीं पहुंची।
काफी देर इंतजार के बाद जब हालत और बिगड़ती दिखी तो वह पत्नी को लेकर ई-रिक्शा से महिला अस्पताल की ओर निकल पड़े। लेकिन रास्ते में, आनंद सिनेमा के पास ही, हेमलता को ई-रिक्शा में ही प्रसव हो गया। आसपास मौजूद लोगों की मदद से किसी तरह नवजात और मां को संभाला गया।
अस्पताल पहुँचे तो नहीं मिला स्ट्रेचर
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल पहुंचने पर भी तुरंत स्ट्रेचर नहीं मिला।
पीड़ित पति सर्वेश कुमार के अनुसार—
“अस्पताल पहुंचने के बाद मैंने स्टाफ से कई बार स्ट्रेचर मांगा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। लगभग 15 मिनट तक पत्नी और नवजात को गोद में संभाले खड़ा रहा। बाद में जाकर स्ट्रेचर मिला।”
इस दौरान बच्चे और महिला की जान खतरे में पड़ सकती थी।
चिकित्सा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
जहां एक ओर सरकार सुरक्षित मातृत्व और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा करती है, वहीं इस घटनाक्रम ने एम्बुलेंस सेवाओं और अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
यह भी सवाल उठ रहा है कि एम्बुलेंस सेवा जैसी जीवनरक्षक सुविधा में इतनी देरी क्यों हुई? और अस्पताल में स्ट्रेचर जैसी बुनियादी सुविधा समय से उपलब्ध क्यों नहीं कराई गई?
मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल ने कही ये बात
मामले को लेकर जब मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. जे.बी. गोगई से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि पूरा मामला गंभीर है और जांच के आदेश दिए जा चुके हैं।
उनके अनुसार—
“जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
बाइट्स
बाइट – सर्वेश कुमार, पीड़ित
(घटना का पूरा विवरण, एम्बुलेंस और स्ट्रेचर न मिलने की परेशानी)
बाइट – डॉ. जे.बी. गोगई, मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल हरदोई
(जांच के आदेश और कार्रवाई की बात)
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