उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। दरिंदगी की शिकार 17 वर्षीय किशोरी ने 30 दिनों तक मौत से जंग लड़ने के बाद आखिरकार गुरुवार देर रात लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में दम तोड़ दिया।

यह वही किशोरी है जिसके साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद तेजाब पिलाने जैसी अमानवीय वारदात को अंजाम दिया गया था।
घटना 28 अक्टूबर की रात की है जब हमीरपुर जिले के जलालपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में घर में सो रही किशोरी को तीन युवकों ने उठाकर छत पर ले जाकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। वारदात के बाद दरिंदों ने किशोरी को जान से मारने की नीयत से तेजाब पिला दिया और मौके से फरार हो गए।
घटना के बाद पीड़िता की हालत गंभीर होने पर परिजनों ने उसे तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां से हालत नाजुक देख डॉक्टरों ने उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। वहां 12 दिन तक उसका इलाज चला, लेकिन तबीयत में सुधार न होने और खर्च बढ़ने के कारण उसे SGPGI लखनऊ भेजा गया। वहां इलाज का खर्च लगभग 8 लाख रुपये बताया गया, जिसे सुनकर पहले से आर्थिक तंगी झेल रहे परिवार के होश उड़ गए। मजबूरी में परिजन उसे हमीरपुर वापस लेकर आ गए।
हमीरपुर लौटने के बाद तीन दिन तक किशोरी अस्पताल के स्ट्रेचर पर पड़ी रही, लेकिन इलाज की उचित व्यवस्था नहीं हो सकी। परिवार ने कई जगह गुहार लगाई, पर मदद नहीं मिली। आखिरकार प्रशासन की पहल पर उसे फिर से लखनऊ के KGMU भेजा गया। मगर देर हो चुकी थी — गुरुवार रात करीब 2 बजे किशोरी की मौत हो गई।
जैसे ही मौत की खबर गांव पहुंची, पूरे इलाके में गुस्से और आक्रोश का माहौल फैल गया। लोगों ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और प्रशासनिक लापरवाही की जांच की मांग की।
पुलिस की कार्रवाई:
शुरुआती जांच में पुलिस ने एक नाबालिग आरोपी को हिरासत में लिया था। बाद में पीड़िता ने इलाज के दौरान बयान में दो और युवकों के नाम बताए, जिन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया और तेजाब पिलाया था। पुलिस ने दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया है और तीनों आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट, गैंगरेप और हत्या के प्रयास समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
आर्थिक और प्रशासनिक लापरवाही का दर्द:
पीड़िता के पिता ने कहा —
“मेरी बेटी चार अस्पतालों के चक्कर लगाती रही, लेकिन किसी ने इलाज की जिम्मेदारी नहीं ली। हमें SGPGI से यह कहकर लौटा दिया गया कि इलाज महंगा है। तीन दिन तक बेटी स्ट्रेचर पर पड़ी रही, और फिर हमने उसे खो दिया।”
परिवार का आरोप है कि यदि समय पर इलाज और सरकारी मदद मिल जाती, तो शायद उनकी बेटी की जान बचाई जा सकती थी।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया:
घटना के बाद शासन ने पूरे मामले पर उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। डीएम और एसपी हमीरपुर ने पीड़िता के परिवार से मुलाकात की और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। वहीं, महिला आयोग और सामाजिक संगठनों ने भी प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए हैं और न्याय की मांग की है।
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