हमीरपुर जिले के कुरारा थाना क्षेत्र के कुसमरा गांव का माहौल उस समय गम और गर्व दोनों से भर गया, जब गांव के वीर सपूत 32 वर्षीय फौजी गोविंद यादव, जो भारतीय सेना में नायक (Nayak) के पद पर तैनात थे, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। उनकी शहादत की सूचना सोमवार को सेना मुख्यालय से परिवार को मिली, जिसके बाद पूरे गांव में मातम छा गया।

मंगलवार को पहुंचा पार्थिव शरीर, गांव में उमड़ी भीड़
मंगलवार को जब सेना की गाड़ी शहीद जवान का पार्थिव शरीर लेकर कुसमरा गांव पहुंची, तो हजारों की संख्या में ग्रामीण अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। तिरंगे में लिपटा शव देखते ही माहौल भावुक हो गया। गांव की पगडंडी से लेकर मुख्य मार्ग तक लोगों की कतारें लगी रहीं। सभी की आंखें नम थीं और हवा में गूंज रहे थे—
“शहीद गोविंद यादव अमर रहें”,
“भारत माता की जय”
जैसे गगनभेदी नारे।
2013 में सेना में हुए थे भर्ती
पिता कुंवर सिंह यादव के मुताबिक, गोविंद यादव वर्ष 2013 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने कुछ ही वर्षों में नायक का पद प्राप्त किया। वर्तमान में उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्र कुपवाड़ा में थी, जहां वे आतंकवाद प्रभावित इलाकों में सुरक्षा ड्यूटी संभाल रहे थे।
शहादत की सूचना ने तोड़ा परिवार का मनोबल
सोमवार को सेना मुख्यालय से आए फोन ने पूरा परिवार हिला दिया। गोविंद के भाई भूपेंद्र यादव और माता-पिता बार-बार बेसुध हो जाते हैं। पूरा घर चीख-पुकार से गूंज उठा। पड़ोसी और रिश्तेदार सांत्वना देने पहुंचे, लेकिन परिवार का दर्द कम ना हो सका।
शहादत पर पूरे क्षेत्र को गर्व
जहां परिवार सदमे में है, वहीं गांव और क्षेत्र के लोग गोविंद की वीरता पर गर्व महसूस कर रहे हैं। शहीद का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव पहुंचा, क्षेत्रीय नेताओं, सेना के अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने पुष्प चक्र अर्पित कर अंतिम सम्मान दिया।
मार्मिक बयान
बाइट – कुंवर सिंह यादव (पिता):
“बेटा देश की रक्षा करते हुए शहीद हुआ है… हमें उस पर गर्व है, लेकिन यह दर्द कभी नहीं मिटेगा।”
बाइट – भूपेंद्र यादव (भाई):
“गोविंद बचपन से ही फौज में जाना चाहता था… उसकी हिम्मत और साहस पर हम सबको गर्व है।”
बाइट – रमन सिंह आज़ाद (ग्रामीण):
“पूरा गांव गर्व से गौरवान्वित है। गोविंद की शहादत हमेशा याद रखी जाएगी।”
हर तरफ शोक, लेकिन वीर सपूत पर गर्व
गांव के बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं—सभी की आंखें नम थीं। शहीद के अंतिम दर्शन के दौरान हर चेहरे पर दर्द भी था और गर्व भी। गोविंद की शहादत ने न सिर्फ गांव बल्कि पूरे जिले को गौरवान्वित किया है। उन्हें पूरे सम्मान के साथ अंतिम विदाई देने की तैयारी की जा रही है।
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