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गाज़ीपुर की ऐतिहासिक अफीम फैक्ट्री के बचाव में सक्रिय हुई राज्यसभा सांसद संगीता बलवंत, उत्पादन बढ़ाने और रोजगार सृजन के लिए उठाए कदम

820 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित गाज़ीपुर अफीम एवं क्षारोद कारखाने के प्रोडक्शन में कमी के बावजूद अधिकारियों और सांसदों की पहल से फैक्ट्री के भविष्य को नई दिशा

लेख:
गाज़ीपुर, 15 अक्टूबर 2025:
गाज़ीपुर की ऐतिहासिक अफीम फैक्ट्री, जो 1820 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गई थी, वर्तमान समय में उत्पादन में गिरावट और मशीनरी की पुरानी हालत के चलते अस्तित्व संकट का सामना कर रही है। फैक्ट्री के महाप्रबंधक दौलत कुमार और स्थानीय अधिकारियों की सक्रियता तथा राज्यसभा सांसद डॉक्टर संगीता बलवंत की पहल के चलते अब इस फैक्ट्री को बचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।

इस फैक्ट्री का महत्व केवल गाज़ीपुर तक ही सीमित नहीं है। यहां राजस्थान के नीमच और अन्य प्रांतों से कच्ची अफीम लाकर उसका विशेष ट्रीटमेंट किया जाता था, जिससे दवाइयां बनाकर विदेशों में भेजी जाती थीं। हालांकि, पुराने संयंत्रों और मशीनों की समय पर उच्चीकरण न होने के कारण फैक्ट्री का उत्पादन काफी घट गया है। इसके परिणामस्वरूप रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में भी कमी आई है।

महाप्रबंधक दौलत कुमार की पहल पर राज्यसभा सांसद डॉक्टर संगीता बलवंत ने फैक्ट्री का निरीक्षण किया और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आवश्यक कदमों का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि फैक्ट्री गाज़ीपुर की धरोहर है और इसका वैश्विक महत्व है। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार की लापरवाही और विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के कारण कई मशीनें नीमच भेज दी गई थीं, जिससे प्रोडक्शन प्रभावित हुआ।

डॉ. संगीता बलवंत ने आगे बताया कि अफीम की खेती यहां लगभग बंद हो चुकी है, लेकिन इसके लिए भी नई पहल की जाएगी ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके और फैक्ट्री का अस्तित्व सुरक्षित रह सके। उन्होंने महाप्रबंधक का धन्यवाद किया कि बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी इस ऐतिहासिक फैक्ट्री को बचाने के लिए उन्होंने कदम उठाए।

सांसद ने यह भी बताया कि फैक्ट्री के पुराने संयंत्रों को उच्चीकरण करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ मशीनें नीमच से वापस मंगाई गई हैं, जिससे उत्पादन में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है। इसके साथ ही, केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय के माध्यम से इस मुद्दे को उच्च स्तर तक उठाने की योजना बनाई जा रही है।

डॉ. संगीता बलवंत ने यह भी जोर दिया कि अफीम और उससे संबंधित उत्पादों का पहले व्यापक बाजार था, जिससे रोजगार सृजन होता था। उनका प्रयास है कि इस उद्योग को पुनर्जीवित किया जाए और गाज़ीपुर की धरोहर को संरक्षित किया जा सके।

गाज़ीपुर की यह अफीम फैक्ट्री न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए भी अहम है। अधिकारियों के नवाचार और सांसद के सक्रिय हस्तक्षेप से उम्मीद की जा रही है कि यह फैक्ट्री जल्द ही अपने पुराने गौरव को पुनः प्राप्त कर सकेगी।

बाइट:
डॉ. संगीता बलवंत, राज्यसभा सांसद – “गाज़ीपुर की अफीम फैक्ट्री हमारे शहर की धरोहर है। इसे बचाना और स्थानीय रोजगार को बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है। पुराने संयंत्रों के उच्चीकरण और नई पहल से हम इसे फिर से उत्पादनशील बनाएंगे।”

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