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गाज़ीपुर के नवापुर घाट पर किन्नर समाज ने मनाया छठ महापर्व, यजमानों की खुशहाली के लिए किया व्रत और सूर्य को दिया अर्घ्य

गाज़ीपुर:
आस्था, श्रद्धा और सूर्य उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में गाज़ीपुर जिले में भी छठ घाटों पर मंगलवार की शाम श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही महिलाओं ने छठ मैया के प्रसाद की तैयारी में दिन बिताया और जैसे ही शाम ढली, सभी श्रद्धालु पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर गंगा घाटों की ओर निकल पड़ीं।

जिले के नवापुर गंगा घाट पर इस बार का नज़ारा कुछ अलग और प्रेरणादायक रहा। यहां किन्नर समाज की महिलाओं ने भी पूरे विधि-विधान और परंपरा के साथ छठ पूजा का आयोजन किया। सिर पर दुपट्टा, सूप में ठेकुआ और फल लेकर किन्नर समाज की महिलाएं गंगा किनारे पहुंचीं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।

छठ व्रत करने वाली एक किन्नर ने बताया, “हमारा अपना कोई पारिवारिक घर नहीं है, लेकिन हमारे यजमान ही हमारा परिवार हैं। उनके सुख, समृद्धि और खुशहाली के लिए ही हम हर साल छठ मैया का व्रत रखते हैं।” उन्होंने कहा कि उनके गुरु पहले यह पर्व मनाया करते थे और उन्हीं की प्रेरणा से यह परंपरा अब तक जारी है।

किन्नर समाज की इस आस्था और श्रद्धा ने घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। सभी ने उनके साथ मिलकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया और एक-दूसरे के उज्जवल भविष्य की कामना की।

वहीं, आम महिलाओं ने भी इस पर्व को लेकर अपनी-अपनी मान्यताएं और अनुभव साझा किए। किसी ने कहा कि छठ मैया की कृपा से संतान सुख मिलता है, तो किसी ने इसे परिवार की उन्नति का पर्व बताया।

पूरे जिले में छठ घाटों को फूलों और दीपों से सजाया गया था। प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे ताकि श्रद्धालु शांति और श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना कर सकें।

गाज़ीपुर का यह नज़ारा एक बार फिर इस बात का प्रतीक बना कि आस्था की कोई सीमा नहीं होती — चाहे वह किसी भी समाज, वर्ग या पृष्ठभूमि से जुड़ा क्यों न हो। छठ महापर्व सभी के लिए एक समान श्रद्धा और विश्वास का पर्व है।

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