फिरोजाबाद।
फिरोजाबाद की मक्खनपुर पुलिस को चकमा देकर पुलिस अभिरक्षा से भागा कुख्यात अपराधी नरेश उर्फ पंकज आखिरकार मुठभेड़ में ढेर हो गया। पुलिस के लिए यह बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि नरेश वही अपराधी था जिसने गुजरात की जीके कंपनी के कर्मचारी से दो करोड़ रुपये की लूट को अंजाम दिया था।
लेकिन इस मुठभेड़ के साथ ही नरेश के अपराधी जीवन से जुड़ी कई परतें खुलने लगी हैं—कैसे एक साधारण बिजली मिस्त्री का लड़का धीरे-धीरे अपराध की गहराइयों में उतरता गया और आखिर पुलिस की गोली से उसका अध्याय खत्म हुआ।
शर्म का बहाना बनकर दी पुलिस को चकमा
मक्खनपुर थाने के इंस्पेक्टर चमन शर्मा द्वारा दर्ज एफआईआर के अनुसार, रविवार दोपहर करीब एक बजे पुलिस टीम नरेश को सरकारी गाड़ी में लेकर रवाना हुई थी। साथ में कांस्टेबल भूपेंद्र सिंह, हरवीर सिंह और संदीप कुमार मौजूद थे।
घुनपई के पास पहुंचने पर नरेश ने पुलिस से कहा कि उसके पेट में दर्द हो रहा है और अगर गाड़ी नहीं रोकी गई तो कपड़े खराब हो जाएंगे। पुलिस ने उसकी बात पर भरोसा कर गाड़ी रोक दी।
इसके बाद वह खेत की ओर चला गया और बोला—“थोड़ा दूर हो जाओ, मुझे शर्म आ रही है, जब तक तुम खड़े रहोगे, शौच नहीं कर पाऊंगा।”
पुलिस उसके झांसे में आ गई और कुछ दूरी पर हट गई। मौका पाकर नरेश हथकड़ी समेत फरार हो गया था।
मिस्त्री से अपराधी बनने तक की कहानी
नरेश का सफर अपराध की ओर तब मुड़ा जब वह दिल्ली में बिजली मिस्त्री का काम करने गया था। गांव अरनी (खैर, अलीगढ़) निवासी नरेश के पिता भूदेव शर्मा उर्फ भूरी ने बताया कि बेटे ने बचपन से मेहनत करना सीखा था, लेकिन दिल्ली जाकर वह गलत संगत में पड़ गया।
पहली बार उसे गाजियाबाद जेल में बंद किया गया, वहीं से उसने अपना गैंग तैयार किया और संगठित अपराध की दुनिया में कदम रख दिया।
भूदेव शर्मा ने बताया, “हमने बहुत समझाया था, यहां तक कि बड़े बेटे की मौत के बाद उसकी विधवा बहू की शादी नरेश से कर दी, ताकि वह सुधर जाए। मगर वह अपराध के रास्ते से कभी नहीं लौटा।”
पिता की आंखों के सामने पड़ा शव, टूटा परिवार
जब पुलिस मुठभेड़ में नरेश के मारे जाने की खबर गांव पहुंची, तो उसके पिता, बहनोई और एक परिचित फिरोजाबाद पहुंचे।
पोस्टमार्टम हाउस में बेटे का शव देखकर भूदेव शर्मा फूट-फूटकर रो पड़े। उन्होंने मीडिया से कुछ भी बोलने से इनकार किया और चुपचाप वहां से चले गए।
परिवार के मुताबिक, नरेश के पांच बेटों में से एक की मौत पहले ही सड़क हादसे में हो चुकी है, जबकि बाकी बेटे नशे की लत में पड़ चुके हैं।
अय्याशी में उड़ाया अपराध का पैसा
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि नरेश ने अपराध से कमाए पैसों को अय्याशी और मौज-मस्ती में उड़ा दिया।
उसने जमीन या जायदाद में कोई निवेश नहीं किया। गांव वालों के मुताबिक, नरेश ने अलीगढ़ क्षेत्र में कभी कोई अपराध नहीं किया था, इसलिए उसके अपराधी बनने की जानकारी गांव में किसी को नहीं थी।
एफएसएल करेगी सीन रिक्रिएशन, मजिस्ट्रेटी जांच होगी शुरू
नरेश उर्फ पंकज के एनकाउंटर के बाद प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं।
इस जांच में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम जल्द ही घटनास्थल—एनएच-19 बाईपास, हलपुरा अंडरपास के पास बनीपुर के जंगल—का दौरा करेगी।
टीम मौके पर मिले खोखे, पिस्टल, खून के निशान जैसे भौतिक साक्ष्यों के आधार पर एनकाउंटर का दृश्य फिर से बनाएगी (सीन रिक्रिएशन) और जांच करेगी कि पुलिस की बताई कहानी से सब कुछ मेल खाता है या नहीं।
साथ ही, डीएम द्वारा नामित मजिस्ट्रेट आम जनता और नरेश के परिजनों से भी अपील करेंगे कि यदि उनके पास कोई साक्ष्य—फोटो, वीडियो या बयान—हैं, तो वे जांच अधिकारी को सौंपें।
परिवार से होगी पूछताछ, बरामद रकम सुरक्षित
जांच टीम अब नरेश के परिवार से भी पूछताछ करेगी। पुलिस का मानना है कि परिवार के सदस्यों को उसके छिपाए गए माल या सहयोगियों के बारे में जानकारी हो सकती है।
नरेश और उसके गैंग से बरामद रकम को थाना मक्खनपुर के मालखाने में जमा कर दिया गया है। बरामद दो देसी पिस्टल और एक रिवॉल्वर को भी सील कर सुरक्षित रखा गया है।
लूट की रकम पर जीके कंपनी कोर्ट में दावा पेश करेगी और अदालत के आदेश के बाद ही रकम कंपनी को सौंपी जाएगी।
अंत वही जो हर अपराधी का होता है
कभी गांव में बिजली उपकरणों की मरम्मत करने वाला एक साधारण युवक—नरेश उर्फ पंकज—आखिर अपराध की दुनिया में ऐसा फंसा कि उसका अंत पुलिस की गोली से हुआ।
उसकी कहानी यह याद दिलाती है कि अपराध का रास्ता चाहे जितना भी लंबा क्यों न हो, अंत जेल या मौत पर ही होता है।
Hind News 24×7 | हिन्द न्यूज़ Latest News & Information Portal