लखीमपुर खीरी।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के धौरहरा तहसील के अंतर्गत आने वाले ब्लॉक रमिया बेहढ़ के ग्राम अभयपुर में एक किसान ने मजबूरी में अपनी मेहनत की पूरी केले की फसल जोत दी। यह दर्दनाक घटना किसानों की बदहाल स्थिति और गिरती बाजार दरों की सच्चाई को उजागर करती है।
गांव के रहने वाले किसान रामशरण प्रजापति पुत्र धनीराम प्रजापति ने अपनी कई बीघा में खड़ी केले की फसल को ट्रैक्टर से जुतवा दिया। कारण — केले की कीमतें इतनी नीचे चली गई हैं कि फसल काटकर मंडी में ले जाने पर भी लागत नहीं निकल पा रही थी। रामशरण का कहना है कि “बाजार में केले की रेट इतनी कम है कि तोड़ने, ढोने और मजदूरी का भी खर्च नहीं निकल रहा। ऊपर से उर्वरक, पानी, बिजली और कीटनाशक का खर्च अलग से। अब बताओ, किसान जिएगा कैसे?”
किसान ने बताया कि इस फसल की तैयारी में उसने हजारों रुपये खर्च किए थे, लेकिन अब जब फसल बिकने लायक हुई तो बाजार में भाव आधे से भी कम रह गए। मजबूरी में उसने ट्रैक्टर चलाकर खेत समतल कर दिया, जिससे लाखों का नुकसान हो गया।
गांव के अन्य किसानों ने भी चिंता जताई कि अगर इसी तरह फसलों के दाम गिरते रहे तो आने वाले समय में कोई किसान केला या सब्जी जैसी फसलें बोने की हिम्मत नहीं करेगा।
अब सवाल यह उठता है कि इन असहाय किसानों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
क्या सरकार ऐसे हालात में किसानों को मुआवजा या राहत देगी, या फिर ये मेहनती किसान अपनी फसलों को यूं ही मिट्टी में मिलाने को मजबूर रहेंगे?
लखीमपुर खीरी जैसे कृषि प्रधान जिले में यह घटना प्रशासन और कृषि विभाग दोनों के लिए एक बड़ा संकेत है कि खेतों में पसीना बहाने वाले किसान को उसके पसीने का सही दाम कब मिलेगा?
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