बदायूँ जिले के थाना वजीरगंज क्षेत्र से एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां एक नाबालिग हिंदू किशोरी को गैर समुदाय का युवक बहला-फुसलाकर भगा ले गया। परिजनों और स्थानीय हिंदू संगठनों ने इस घटना के बाद गहरा आक्रोश व्यक्त किया है। वहीं, परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने तहरीर में बदलाव करवाकर कार्रवाई को कमजोर करने की कोशिश की।

घटना 21 तारीख की बताई जा रही है, जब फारूक पुत्र निसार नाम का युवक लगभग 16 वर्षीय नाबालिग लड़की को अपने साथ ले गया। किशोरी के परिवार ने तुरंत थाने पहुंचकर घटना की तहरीर दी और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
लेकिन परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय उल्टा उन पर दबाव बनाया। लड़की के पिता ने बताया कि थाने में मौजूद मुंशी और अधिकारियों ने कहा—
“अगर लड़की की उम्र 18 साल लिखवाओगे तब लड़की मिलेगी, 16 साल लिखोगे तो लड़की नहीं मिलेगी।”
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने न सिर्फ उनकी मूल तहरीर वापस कराई बल्कि अपनी तरफ से नई तहरीर लिखकर उसमें लड़की की उम्र 18 वर्ष दर्ज कर दी। इससे साफ यह सवाल उठ रहा है कि क्या पुलिस आरोपी को बचाने की कोशिश कर रही है?
हिंदू संगठनों में आक्रोश
घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्र के हिंदू संगठनों में गहरी नाराज़गी फैल गई है। उनका कहना है कि यह न सिर्फ अपहरण का मामला है बल्कि पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही आरोपी की गिरफ्तारी और किशोरी की बरामदगी नहीं हुई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
परिवार में कोहराम, गांव में तनाव का माहौल
किशोरी के अचानक गायब होने से परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। मां-बाप लगातार बेटी की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं। गांव में भी लोग भय और आक्रोश में हैं।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
परिवार का आरोप है कि नाबालिग की जगह बालिग दिखाने का प्रयास न सिर्फ गंभीर लापरवाही है बल्कि यह कानूनी प्रक्रिया से खिलवाड़ भी है। बाल संरक्षण कानूनों के तहत नाबालिग से जुड़े मामलों में तुरंत FIR दर्ज कर कार्रवाई करना अनिवार्य है।
फिलहाल, मामला लगातार गर्माता जा रहा है और स्थानीय लोगों ने निष्पक्ष जांच व आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की मांग उठाई है।
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