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महाराष्ट्र: पुणे में 6 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या मामले में 24 साल का युवक दोषी करार

जांच के दौरान, दोनों आरोपियों ने अपराध कबूल कर लिया था, लेकिन बाद में पुलिस द्वारा अदालत में आरोप पत्र दायर किए जाने के बाद खुद को दोषी नहीं ठहराया।

महाराष्ट्र के पुणे की सत्र अदालत ने शुक्रवार को जिले के मावल तालुका में छह वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म और हत्या के लिए 24 वर्षीय व्यक्ति को मौत की सजा सुनाई। बता दें कि अगस्त 2022 में, छह साल की बच्ची अपने घर के आंगन में खेल रही थी, तभी मावल तालुका के कामशेत निवासी आरोपी ने उसका अपहरण कर लिया, उसके साथ बलात्कार किया और उसका गला काट दिया। अगले दिन बच्ची का शव आरोपी के घर के पिछले हिस्से से बरामद में मिला।

साक्ष्य छिपाने और पुलिस को घटना की सूचना नहीं देने के लिए आरोपी की मां को भी 7 साल की सजा सुनाई गई। जांच के दौरान, दोनों आरोपियों ने अपराध कबूल कर लिया था, लेकिन बाद में पुलिस द्वारा अदालत में आरोप पत्र दायर किए जाने के बाद खुद को दोषी नहीं ठहराया।

अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के साबित किया जुर्म
लोक अभियोजक वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कावेड़िया के अनुसार, मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने प्रस्तुत किया कि रिकॉर्ड पर लाए गए सभी सबूतों के आधार पर, अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के साबित कर दिया है कि आरोपी ने आंगन में खेल रही मृत लड़की का अपहरण किया था। युवक उसे अपने घर ले गया, मृतिका के साथ गंभीर यौन उत्पीड़न किया और उसका गला काटकर बेरहमी से हत्या कर दी।

इसके बाद आरोपी ने शव को अपने घर के पीछे एक पेड़ के नीचे गड्ढे में दफनाकर छिपाने का प्रयास किया। कावेदिया ने कहा, ‘आरोपी की मां ने अपने बेटे को सजा से बचाने के लिए मृतका के शरीर के कपड़े और वस्तुएं छिपा दी थीं, इसलिए दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया जाना चाहिए।’

त्वरित सुनवाई के लिए कोर्ट के प्रति व्यक्त किया आभार
अधिवक्ता राजेश ने आगे बताया, ‘आरोपी एक सेक्स के पीछे पागल रहता है, अनियंत्रित, निरंतर यौन विचारों से ग्रस्त है और बाल पोर्नोग्राफी देखने का आदी है।’ पीपी कावेड़िया ने त्वरित सुनवाई के लिए कोर्ट के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस मामले की सुनवाई अक्तूबर 2022 के आसपास हुई और आरोप पत्र दायर होने के बाद केवल 8 महीनों में 29 गवाहों से पूछताछ की गई। सेशन कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘मौजूदा अपराध एक यौन जुनूनी और कठोर क्रूर व्यक्ति द्वारा किए गए सबसे जघन्य, क्रूर और बर्बर कृत्यों में से एक प्रतीत होता है।’

सुनवाई पुणे सत्र न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बीपी क्षीरसागर द्वारा की गई। घटना अगस्त 2022 में हुई। मामला पुणे ग्रामीण पुलिस के तहत कामशेत पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था और लगभग एक साल और सात महीने में सजा हुई।

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