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हल्द्वानी हिंसा के सिलसिले में 25 लोग और गिरफ्तार

हल्द्वानीः उत्तराखंड के हल्द्वानी में तीन दिन पहले हिंसा भड़काने के आरोप में पिछले 24 घंटे में 25 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि घटना में शामिल उपद्रवियों और अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है।

नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रहलाद मीणा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि हिंसा के संबंध में अब तक 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर लोगों की गिरफ्तारी नैनीताल जिले से ही हुई है। आठ फरवरी को हुई घटना के सिलसिले में पांच लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने बताया कि आरोपियों के कब्जे से अवैध हथियार और कारतूस बरामद किए गए हैं। घटना वाले दिन बनभूलपुरा पुलिस थाने से उपद्रवियों द्वारा लूटे गए 99 जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए। क्या गिरफ्तार लोगों में मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक भी शामिल है?

इस सवाल पर मीणा ने कहा कि उसकी तलाश जारी है और उसे जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मलिक ने ही कथित तौर पर अवैध मदरसा और नमाज स्थल का निर्माण करवाया था, जिनके ध्वस्तीकरण के दौरान हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में छह व्यक्तियों की मौत हो गयी थी जबकि पुलिस और पत्रकारों समेत 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। उधर, मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि हल्द्वानी में हुई घटना में शामिल उपद्रवियों और अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है और सभी दंगाइयों को एक-एक कर गिरफ्तार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी साफ किया कि प्रदेश में अतिक्रमण के खिलाफ चल रहा अभियान जारी रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश में अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई निश्चित तौर पर होगी और इस अभियान को रोका नहीं जाएगा।” बाद में, चंपावत के लोहाघाट में एक जनसभा के दौरान उन्होंने कहा कि हल्द्वानी में घटना को अंजाम देने वाले किसी दंगाई को बख्शा नहीं जाएगा चाहे वह कितना भी रसूख वाला हो। उन्होंने कहा कि नुकसान की भरपाई भी दंगाइयों से ही की जाएगी।

वहीं बनभूलपुरा में स्थित ‘मलिक का बगीचा’ में अवैध मदरसा और नमाज स्थल के ध्वस्तीकरण के दौरान प्रशासनिक अमले पर स्थानीय लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया था। इस दौरान भीड़ में शामिल अराजक तत्वों ने छतों से पथराव किया, पेट्रोल बम फेंक कर वाहनों में आग लगाई और बनभूलपुरा पुलिस थाने को फूंक दिया था। बिगड़ते हालात को संभालने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें छह दंगाइयों की मौत हो गई थी। बनभूलपुरा क्षेत्र को छोड़कर शेष हल्द्वानी में कर्फ्यू हटाए जाने के बाद नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह के निर्देश पर प्रशासन ने बनभूलपुरा में भी आवश्यक सेवाओं को बहाल कर दिया। बनभूलपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन शुरू करवाने के साथ ही दवा की दुकानें भी खोलने की इजाजत दी गई।

क्षेत्र के लाइन नंबर 17 में रहने वाले डेढ़ वर्षीय बीमार बच्चे मोहम्मद इजहान का अस्पताल ले जाकर इलाज करवाया गया और उसके बाद उसे सरकारी वाहन से घर तक छोड़ा गया। उधर, हल्द्वानी में हिंसा के मद्देनजर हालात से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार ने और केंद्रीय बलों की मांग की है। अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100-100 जवानों वाली चार कंपनियों की मांग की गयी है ताकि हिंसा ग्रस्त बनभूलपुरा क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को कायम रखा जा सके। बनभूलपुरा में करीब 1000 सुरक्षाकर्मी पहले से ही तैनात हैं। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, हल्द्वानी में इंटरनेट सुविधाएं बहाल कर दी गयी हैं। हालांकि, इसके साथ चेतावनी भी जारी की गई है कि यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था बिगाड़ने वाली पोस्ट डालता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच, देहरादून में उत्तराखंड कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य की अगुवाई में मुख्यमंत्री से मुलाकात की तथा हल्द्वानी हिंसा मामले की निष्पक्ष से जांच कराने की मांग की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि कुमाऊं आयुक्त को घटना की मजिस्ट्रेट जांच करवाने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि धामी ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा अनेक विधायक शामिल थे।

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