55 दिन बाद बरामद हुए हमीरपुर के भाजपा नेता प्रीतम सिंह किसान, हाईकोर्ट में पेशी की तैयारी तेज

हमीरपुर (उ.प्र.)। रिपोर्ट – हरिमाधव मिश्र
जनपद हमीरपुर की राजनीति और पुलिस प्रशासन से जुड़ा एक बड़ा और संवेदनशील मामला आखिरकार सुलझ गया है। करीब 55 दिनों से लापता चल रहे भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह किसान को पुलिस ने लखनऊ के दुबग्गा इलाके से बरामद कर लिया है। इस बरामदगी ने न केवल पुलिस प्रशासन को राहत दी है, बल्कि लंबे समय से चल रहे रहस्य और आरोपों के सिलसिले पर भी आंशिक रूप से विराम लगा दिया है।
शनिवार को हमीरपुर पुलिस भाजपा नेता को लेकर सीजेएम कोर्ट पहुंची, जहां मजिस्ट्रेट के समक्ष उनके बयान दर्ज किए गए। इसके बाद कोर्ट के निर्देश पर प्रीतम सिंह किसान को हमीरपुर मुख्यालय स्थित वृद्ध आश्रम भेजा गया है, जहां वे फिलहाल दो दिनों तक पुलिस की कड़ी निगरानी में रहेंगे। पुलिस के अनुसार, उन्हें 16 दिसंबर को हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। सुरक्षा की दृष्टि से कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
गुमशुदगी के 55 दिन: कैसे उलझा और सुलझा यह मामला
यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब 18 अक्टूबर 2025 को भाजपा नेता प्रीतम सिंह किसान के पेट्रोल पंप पर विवाद और फायरिंग की घटना सामने आई थी। उस दौरान पुलिस ने उन्हें थाने लाकर पूछताछ की थी। पुलिस का कहना है कि अगले दिन उन्हें उनके बेटे राघवेंद्र के सुपुर्द कर दिया गया, लेकिन कुछ दिनों बाद वे रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गए।
उनके गायब होने की जानकारी तब सुर्खियों में आई जब 28 अक्टूबर को भाई वीर सिंह किसान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की। याचिका में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए थे कि उसकी भूमिका संदिग्ध है और भाजपा नेता को जानबूझकर गायब किया गया है।
हाईकोर्ट की सख्ती और पुलिस पर दबाव
इस पूरे मामले में हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया था। 9 दिसंबर को एसपी हमीरपुर डॉ. दीक्षा शर्मा को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना पड़ा था। उस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस को अंतिम चेतावनी देते हुए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया था ताकि वे प्रीतम सिंह किसान को खोज निकालें।
इसके बाद, पुलिस ने खोज अभियान तेज किया और 13 दिसंबर को लखनऊ के दुबग्गा इलाके में एक आवास से भाजपा नेता को बरामद कर लिया। सूत्रों के अनुसार, बरामदगी के दौरान पुलिस को किसी प्रकार का प्रतिरोध नहीं झेलना पड़ा।
परिवार और राजनीतिक हलकों में मचा हड़कंप
भाजपा नेता की बरामदगी के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। परिजनों ने जहां राहत की सांस ली है, वहीं अब वे इस बात पर अड़े हैं कि प्रीतम सिंह किसान ने आखिर इन 55 दिनों में कहाँ और किन परिस्थितियों में समय बिताया — इसका खुलासा होना जरूरी है।
स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह घटना प्रशासन और पुलिस दोनों के लिए एक बड़ी सीख है, क्योंकि इतने लंबे समय तक एक वरिष्ठ राजनीतिक व्यक्ति का लापता रहना गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
पुलिस की सफाई और आगे की प्रक्रिया
पुलिस का कहना है कि बरामद भाजपा नेता फिलहाल स्वस्थ हैं और उनसे प्रारंभिक पूछताछ की जा रही है। उन्हें अस्थायी रूप से वृद्ध आश्रम में सुरक्षा कारणों से रखा गया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, 16 दिसंबर को जब प्रीतम सिंह किसान को हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा, तब उनके बयान और अदालत की टिप्पणियाँ इस पूरे मामले की दिशा तय करेंगी।
राजनीतिक और प्रशासनिक सर्किल में चर्चा तेज
भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों ने इस प्रकरण पर संतोष और चिंता दोनों जताई हैं। कुछ नेताओं ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि प्रीतम सिंह किसान की गुमशुदगी के पीछे किन कारणों या दबावों की भूमिका थी।
वहीं विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।
प्रीतम सिंह किसान की बरामदगी ने 55 दिन पुराने रहस्य पर से पर्दा तो उठा दिया है, लेकिन कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं —
क्या वे वास्तव में लापता थे या किसी दबाव में छिपे थे?
पुलिस की भूमिका कितनी पारदर्शी रही?
और हाईकोर्ट में 16 दिसंबर को क्या नया खुलासा होगा?
इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे। फिलहाल पूरे हमीरपुर में चर्चा का विषय सिर्फ एक है —
“55 दिनों बाद भाजपा नेता की बरामदगी — सियासी हलचल और प्रशासनिक जांच के नए दौर की शुरुआत।”
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