कुशीनगर जनपद के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के ढोलहा गांव में बुखार ने कहर बरपा दिया है। एक ही परिवार के तीन मासूम बच्चों की अलग–अलग दिनों में मौत हो जाने से पूरे गांव में मातम छा गया है। ग्रामीणों में जहां शोक की लहर है, वहीं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और झोलाछाप डॉक्टरों की मनमानी को लेकर भारी आक्रोश भी देखने को मिल रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार ढोलहा गांव निवासी एक ही परिवार के तीन बच्चे पिछले कई दिनों से तेज बुखार से पीड़ित थे। परिजनों ने शुरुआत में बच्चों का इलाज गांव के ही एक झोलाछाप डॉक्टर से कराया। लेकिन लंबे समय तक दवा खाने के बावजूद बच्चों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। जब स्थिति बिगड़ती चली गई, तब परिवार ने तीनों को जिला अस्पताल कुशीनगर ले जाने का निर्णय लिया।
शुक्रवार को इलाज के दौरान जिला अस्पताल में एक बच्ची ने दम तोड़ दिया, जबकि दूसरी बच्ची की मौत जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में हो गई। वहीं परिवार के तीसरे बच्चे की मौत दो दिन पूर्व गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान हो चुकी थी।
तीनों बच्चों की लगातार मौत से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मां-बाप का रो-रोकर बुरा हाल है। घर में मातम पसरा हुआ है और पूरे गांव में शोक की लहर है। लोग इस दर्दनाक घटना को “स्वास्थ्य व्यवस्था की असफलता” करार दे रहे हैं।
ग्रामीणों का आरोप:
ग्रामीणों ने बताया कि गांव और आसपास के क्षेत्रों में कई दिनों से बुखार फैल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। वहीं झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम इलाज कर रहे हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है। लोगों ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई:
घटना की सूचना मिलते ही नेबुआ नौरंगिया सीएचसी प्रभारी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव पहुंची। टीम ने गांव का सर्वे कर मरीजों की सूची बनाई और स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने की तैयारी शुरू की। अधिकारियों ने कहा कि मामले की पूरी जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने पर झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बाइट:
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परिजन: “हमारे तीनों बच्चे बुखार से तड़पते रहे। कई बार डॉक्टर बदले, लेकिन किसी ने सही इलाज नहीं किया। आखिर में हमारी गोद उजड़ गई।”
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नेबुआ नौरंगिया सीएचसी प्रभारी: “टीम को गांव में भेजा गया है। बच्चों की मौत की वजह की जांच की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग गंभीरता से मामले को देख रहा है।”
ढोलहा गांव की यह दर्दनाक घटना न सिर्फ एक परिवार के लिए त्रासदी है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि आखिर ग्रामीण इलाकों में अब भी झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला क्यों है? कब तक लापरवाह स्वास्थ्य तंत्र की वजह से मासूमों की जानें यूं ही जाती रहेंगी?
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