कानपुर में राज्य महिला आयोग और पुलिस विभाग के बीच तनावपूर्ण हालात उस समय बन गए जब आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता ने बर्रा थाने का निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान महिला अपराधों से जुड़े रजिस्टरों में अनियमितताएँ और लापरवाही सामने आईं, जिसके बाद अनीता गुप्ता ने थाने को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा।
लेकिन इसके तुरंत बाद संयुक्त पुलिस आयुक्त (JCP) वी.के. सिंह ने उल्टा अनीता गुप्ता को ही नोटिस भेज दिया, जिसमें उन्हें “हद में रहने” की नसीहत दी गई।
इस घटनाक्रम के बाद दोनों विभागों के बीच खुला टकराव देखने को मिला, जिसने शहर के प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी।
निरीक्षण के दौरान सामने आईं कमियाँ
जानकारी के मुताबिक, राज्य महिला आयोग की सदस्य अनीता गुप्ता गुरुवार को अचानक बर्रा थाने पहुंचीं।
उन्होंने वहां महिला उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, दहेज और छेड़छाड़ जैसे मामलों से जुड़े रजिस्टरों और रिपोर्टों की जांच की।
जांच के दौरान कई फाइलों में गलत प्रविष्टियाँ, अधूरी जानकारी और बिना कार्रवाई बंद किए गए केस पाए गए।
इस पर अनीता गुप्ता ने थाने के प्रभारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा और कहा कि महिला अपराधों को लेकर पुलिस का रवैया “संवेदनशील और पारदर्शी” होना चाहिए।
पुलिस ने दी प्रतिक्रिया — ‘थाने का निरीक्षण आयोग का अधिकार नहीं’
निरीक्षण के बाद कुछ ही घंटों में संयुक्त पुलिस आयुक्त (JCP) वी.के. सिंह ने अनीता गुप्ता को नोटिस भेजा।
इस नोटिस में कहा गया कि “राज्य महिला आयोग के सदस्यों को किसी थाने का निरीक्षण करने या रिकॉर्ड चेक करने का अधिकार नहीं है।”
पुलिस के मुताबिक, इस तरह की कार्रवाई विभागीय प्रक्रिया में हस्तक्षेप मानी जाएगी।
JCP ने यह भी कहा कि इस तरह के कदम पुलिस कार्य में बाधा डालते हैं और जांच प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
महिला आयोग की प्रतिक्रिया — ‘पुलिस महिला अपराधों को छिपा रही है’
इस नोटिस के जवाब में अनीता गुप्ता ने पुलिस विभाग पर महिला अपराधों को छिपाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा —
“पुलिस की भाषा और रवैया अभद्र है।
ऐसा लगता है कि कुछ अधिकारी महिला अपराधों को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।
हमारी जिम्मेदारी है कि हम पीड़ित महिलाओं की आवाज उठाएँ और सिस्टम को जवाबदेह बनाएं।”
अनीता गुप्ता ने यह मामला राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान के संज्ञान में भी लाया है, जिन्होंने डीजीपी से रिपोर्ट तलब करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
पुलिस आयुक्त ने किया हस्तक्षेप — बातचीत से सुलझा विवाद
मामला तूल पकड़ने के बाद कानपुर पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल ने खुद हस्तक्षेप किया।
उन्होंने बताया कि यह विवाद गलतफहमी का परिणाम था, जिसमें कुछ कथित शब्दों और तस्वीरों को लेकर भ्रम फैल गया था।
“हमने आपसी बातचीत से स्थिति स्पष्ट कर दी है।
आयोग की अध्यक्ष और संयुक्त पुलिस आयुक्त के बीच संवाद के बाद अब कोई विवाद नहीं है,”
— रघुबीर लाल, पुलिस आयुक्त कानपुर नगर
आयुक्त ने दोनों पक्षों से कहा कि महिला सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर संवाद और सहयोग सबसे बड़ा समाधान है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष की प्रतिक्रिया
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने कहा कि आयोग की भूमिका निगरानी और सुधार की है, न कि टकराव की।
उन्होंने कहा —
“महिला अपराधों के मामलों में आयोग और पुलिस दोनों को मिलकर काम करना चाहिए।
हमारा लक्ष्य एक है — महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना।”अनीता गुप्ता (सदस्य, राज्य महिला आयोग):
“मैंने जो देखा, वही बताया।
पुलिस का काम है जवाब देना, न कि धमकाना।
हमें महिलाओं की सुरक्षा के लिए जवाबदेही चाहिए।”रघुबीर लाल (पुलिस आयुक्त, कानपुर नगर):
“यह विवाद अब सुलझ चुका है।
दोनों पक्षों में कोई मतभेद नहीं है।
हमने संवाद के ज़रिए गलतफहमी दूर कर दी है।”
कानपुर में महिला आयोग और पुलिस के बीच हुआ यह विवाद भले ही अब शांत हो गया हो,
लेकिन इसने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है —
क्या महिला अपराधों पर निगरानी और पारदर्शिता की व्यवस्था पर्याप्त है?
यह घटना बताती है कि राज्य स्तर पर आयोग और पुलिस को बेहतर तालमेल और स्पष्ट अधिकार क्षेत्र की जरूरत है,
ताकि संवेदनशील मामलों में टकराव नहीं, बल्कि सहयोग का माहौल बन सके।
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