उत्तर प्रदेश के जालौन जिले की उरई तहसील के ग्राम जलालपुर चिरगुवां में जमीन कब्जा विवाद ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। गांव के निवासी कालीदीन, संतराम, संतोष और स्वामीदीन ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर अपनी आपबीती साझा की और न्याय की मांग की।

पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनके बुजुर्ग लगभग 50 वर्षों से जिस जमीन पर कब्जा बनाए हुए थे, उसी जमीन पर गांव के कुछ लोग अवैध तरीके से कब्जा कर रहे हैं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि नंद गोपाल पुत्र रंजीत सिंह यादव, लंगर महाराज पुत्र हरनारायण, श्यामबाबू पुत्र मन्नू, चतुर सिंह पुत्र जियालाल, वीरेंद्र पुत्र मन्नो, श्यामकरण पुत्र मजबूत, लोटन पुत्र लक्ष्मण और सुनील पुत्र श्यामबाबू ने उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर रखा है।
पीड़ितों की शिकायत
पीड़ित परिवार का कहना है कि जब उन्होंने आरोपियों से जमीन खाली करने की बात की, तो आरोपियों ने न केवल इंकार किया, बल्कि मारपीट पर उतारू हो गए। इसके अलावा पीड़ितों ने आरोप लगाया कि उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया गया और जान से मारने की धमकी भी दी गई।
पीड़ित परिवारों ने जिलाधिकारी से तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि यह जमीन वर्षों से उनके बुजुर्गों के स्वामित्व में रही है और आज उनके ही गांव के लोगों द्वारा अवैध कब्जा कर उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है।
प्रशासन से मांगें
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अवैध कब्जा हटाने के लिए तुरंत कार्रवाई
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परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराना
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विवाद सुलझाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थायी उपाय करना
पीड़ितों ने कहा कि यदि प्रशासन समय रहते उचित कार्रवाई नहीं करता है तो यह मामला गांव और आसपास के क्षेत्र में तनाव बढ़ा सकता है।
वास्तविक खतरा और सामाजिक प्रतिक्रिया
स्थानीय लोग इस विवाद से चिंतित हैं। उनका कहना है कि जमीन विवाद गांवों में अक्सर हिंसा का कारण बनते हैं। ऐसे मामलों में यदि प्रशासन ने समय पर हस्तक्षेप नहीं किया, तो छोटे-छोटे झगड़े बड़े संघर्ष में बदल सकते हैं।
उरई तहसील के ग्राम जलालपुर चिरगुवां में जमीन कब्जा विवाद ने न्याय और प्रशासनिक हस्तक्षेप की आवश्यकता को स्पष्ट कर दिया है। पीड़ित परिवार की मांग है कि उनके हक की रक्षा की जाए और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
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