रायबरेली में 13 वर्षीय किशोर की आत्महत्या से गांव में मातम, कहा-सुनी के बाद उठाया खौफनाक कदम
रायबरेली। जिले के ऊंचाहार कोतवाली क्षेत्र के हर्षकारी पट्टी रहस कैथवल गांव में रविवार को एक दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। महज़ 13 वर्षीय अनिकेत, पुत्र संत लाल, ने घरेलू कहा-सुनी के बाद फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है और गांव के लोग अभी भी इस घटना को समझ नहीं पा रहे हैं।

छोटी कहासुनी ने लिया भयावह रूप
जानकारी के अनुसार, सुबह घर में किसी बात को लेकर अनिकेत का अपने बड़े भाई से मामूली विवाद हो गया था। परिवार के मुताबिक, यह एक साधारण तकरार थी जो अक्सर भाई-भाई में हो जाती है, लेकिन किसे पता था कि यह छोटी सी नोकझोंक एक भयावह रूप ले लेगी।
तकरार के कुछ ही समय बाद अनिकेत अचानक घर के एक कमरे में चला गया। परिजनों को लगा कि वह मन खराब होने के कारण अलग बैठ गया होगा, लेकिन कुछ देर बाद जब वह बाहर नहीं आया, तो परिवारजन उसे देखने गए। दरवाज़ा खोला तो सभी के होश उड़ गए—अनिकेत फांसी के फंदे से लटका हुआ था।
परिजनों में मचा कोहराम, अस्पताल ले जाते हुए भी नहीं बच सकी जान
घर में अफरा-तफरी मच गई। परिवार ने किसी तरह उसे फंदे से उतारा और तुरंत बाइक से ऊंचाहार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) लेकर भागे।
लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद अनिकेत को मृत घोषित कर दिया।
परिवार के रोते-बिलखते हाल देखकर अस्पताल स्टाफ भी भावुक हो उठा। मृतक के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। गांव में शोक का माहौल फैल गया है।
पुलिस ने शव लिया कब्जे में, पोस्टमार्टम के लिए भेजा
सीएचसी से घटना की सूचना मिलते ही ऊंचाहार पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी है।
अधिकारी यह पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या किसी अन्य कारण से किशोर मानसिक तौर पर परेशान था या घटना केवल उसी छोटी कहासुनी का परिणाम है।
गांव में छाया मातम और कई सवाल खड़े
इस घटना के बाद गांव में गहरी शोक की लहर है। 13 साल की छोटी उम्र में ऐसा कदम उठाना कई सवाल खड़े करता है—
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क्या किशोर किसी मानसिक तनाव से जूझ रहा था?
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परिवार को उसके बदलते व्यवहार का अंदाजा क्यों नहीं हुआ?
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क्या समाज में बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने पर पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं?
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि आजकल बच्चे छोटी-छोटी बातों में खुद को अकेला महसूस कर लेते हैं और इस दिशा में परिवारों को बेहद सजग रहने की जरूरत है।
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