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Kanpur: 16 वर्षीय आरव की खुदकुशी से टूटा मिश्रा परिवार, मां-बेटी की चीखों से गूंज उठा घर, बीमारी को लेकर 60 बार गूगल किया था सर्च

कानपुर में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। रानीघाट क्षेत्र में रहने वाले दवा कारोबारी आलोक मिश्रा के इकलौते बेटे आरव मिश्रा (16) ने सोमवार को फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। आरव द जैन इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 11 का छात्र था और स्टेट लेवल का स्विमिंग खिलाड़ी भी था। उसकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। घर में कोहराम मच गया और मां-बेटी की चीखों से पूरा इलाका गूंज उठा।

मां-बेटी की चीखों से फूटा मातम

जब पोस्टमार्टम हाउस से आरव का शव घर पहुंचा, तो वहां का माहौल किसी रणक्षेत्र से कम नहीं था। कफन में लिपटे अपने लाल को देख मां दिव्या मिश्रा और बहन मान्या जोर-जोर से रोने लगीं। मां ने चीत्कार करते हुए कहा, “अरे हम क्यों चले गए थे तुमको अकेले छोड़कर… इतना बड़ा कदम उठा लिया बेटा, लौट आओ! हम किसके सहारे जिएंगे?”
दादी नीलम मिश्रा को भी महिलाएं संभालती रहीं। पूरे 15 मिनट तक शव घर पर रखा गया, फिर परिजन भैरों घाट लेकर रवाना हो गए। पिता आलोक मिश्रा बदहवास हालत में बार-बार बेटे का नाम बुदबुदाते रहे, जबकि आंखों से आंसू सूख चुके थे।

बीमारी को लेकर 60 बार किया था गूगल सर्च

पुलिस जांच में सामने आया है कि आरव सीजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक मानसिक बीमारी से परेशान था। कोहना थाना प्रभारी विनय तिवारी के अनुसार, आरव ने पिछले एक साल में बीमारी के लक्षणों को लेकर 60-65 बार गूगल पर सर्च किया था। वह बिना परिवार को बताए खुद अपनी बीमारी की जानकारी जुटाने की कोशिश करता रहा।
मोबाइल के नोटपैड में मिले सुसाइड नोट में लिखा था— “चार चेहरे मुझे कहते हैं कि या तो खुद को मार दो, या मां-बाप और बहन को।” यह लाइनें पुलिस और परिवार दोनों को अंदर तक झकझोर गईं।

बहन को बताई थी सुसाइड नोट की बातें

परिजनों ने बताया कि दीपावली के दौरान आरव ने अपनी बड़ी बहन मान्या को इन अजीबोगरीब आवाज़ों और नोट में लिखी बातों के बारे में बताया था। उसने कहा था कि इससे वह काफी परेशान है और डरता भी है। लेकिन बहन ने इसे घरवालों से साझा नहीं किया क्योंकि छठ पूजा की तैयारियां चल रही थीं और घर में उत्सव का माहौल था।

हादसे के दिन की कहानी

छठ पर्व के मौके पर आरव के माता-पिता पूजा के लिए भागलपुर चले गए थे। घर पर आरव और उसकी दादी नीलम मौजूद थे। सोमवार की शाम करीब 4:30 बजे दादी ने उसे आवाज दी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। दरवाजा अंदर से बंद था। कई बार आवाज देने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पड़ोसी परमिंदर चंद्रा को बुलाया गया। जब दरवाजा तोड़ा गया, तो आरव का शव पंखे से लटकता मिला।
दादी नीलम मौके पर ही गश खाकर गिर पड़ीं। पड़ोसियों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी। फॉरेंसिक टीम ने मौके से मोबाइल और एक कागज का टुकड़ा बरामद किया, जिस पर लिखा था – “Note for mobile.”

स्कूल में पसरा सन्नाटा

आरव के स्कूल द जैन इंटरनेशनल स्कूल में जब उसके निधन की खबर पहुंची, तो सभी छात्रों और शिक्षकों के होश उड़ गए। प्रिंसिपल और टीचर्स ने बताया कि आरव एक मेधावी और अनुशासित छात्र था। उसने हाईस्कूल में 97 प्रतिशत अंक हासिल किए थे और स्कूल के स्विमिंग प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीते थे।
उसकी बहन मान्या भी स्कूल में टॉपर रही है। लेकिन किसी को अंदेशा नहीं था कि आरव अंदर ही अंदर इतनी बड़ी मानसिक लड़ाई लड़ रहा था।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

आरव की मौत की खबर सुनकर रिश्तेदार और मोहल्ले के लोग शोक में डूब गए। पिता आलोक मिश्रा बदहवास होकर बेटे का नाम पुकारते रहे। वहीं, कल्याणपुर विधायक नीलिमा कटियार भी घर पहुंचीं और दुखी परिवार को सांत्वना दी।
परिजनों ने किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया है। पुलिस ने मोबाइल के डिजिटल साक्ष्यों की जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता चल सके कि आरव किन साइट्स पर सर्च करता था और उसके मानसिक तनाव की असली वजह क्या थी।


यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को लेकर जागरूकता और खुलकर संवाद कितना जरूरी है।
कानपुर का यह दर्दनाक मामला इस बात का प्रतीक है कि कभी-कभी सबसे होनहार, सबसे मुस्कुराते चेहरे भी अंदर से गहरे अवसाद में डूबे होते हैं।

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