Friday , December 5 2025

योगी सरकार का बड़ा फैसला: अब हर जिले में होगी नकली दवाओं की जांच, सृजित होगा ‘जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी’ का नया पद

लखनऊ, 25 अक्टूबर 2025:
उत्तर प्रदेश में नकली और गुणवत्ताहीन दवाओं की बिक्री पर सख्त शिकंजा कसने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश के हर जिले में एक जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी (District Drug Control Officer) की नियुक्ति की जाएगी, जो दवा बाजार की निगरानी करेगा और नकली दवाओं के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।


नकली दवाओं पर सरकार की सख्ती

प्रदेश में बीते कुछ महीनों से लगातार नकली और निम्न-गुणवत्ता वाली दवाओं के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे आम जनता की सेहत को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। ऐसे मामलों में औषधि निरीक्षक (Drug Inspector) की जिम्मेदारी होती है, लेकिन वर्तमान में कई जिलों में निरीक्षकों की भारी कमी है।
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश के 13 जिलों में फिलहाल औषधि निरीक्षक का कोई पदस्थ अधिकारी नहीं है, जबकि कई निरीक्षकों को दो-दो जिलों की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है। इससे जांच व्यवस्था प्रभावित हो रही थी।


सीएम योगी ने दी नई संरचना को मंजूरी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान औषधि नियंत्रण संवर्ग के पुनर्गठन को मंजूरी दी।
निर्णय के तहत हर जिले में जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी का नया पद सृजित किया जाएगा। यह अधिकारी जिले में तैनात औषधि निरीक्षकों की निगरानी करेगा और सीधे उच्च स्तर पर रिपोर्ट करेगा।

इसके साथ ही अब तक जो औषधि निरीक्षक जिलाधिकारी के अधीन काम करते थे, वे अब सीधे विभागीय नियंत्रण में रहेंगे। इससे जांच प्रक्रिया में तेजी और पारदर्शिता आने की उम्मीद है।


औषधि निरीक्षकों की संख्या दोगुनी होगी

वर्तमान में प्रदेश में औषधि निरीक्षक के 109 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 32 पद अभी खाली हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि निरीक्षकों की संख्या दोगुनी की जाए ताकि प्रत्येक जिले में पर्याप्त जनशक्ति हो।
साथ ही, निरीक्षण एवं नियंत्रण कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए उपायुक्त (औषधि) और संयुक्त आयुक्त (औषधि) के पद भी बढ़ाए जाएंगे।


सेवा नियमों में संशोधन की तैयारी

सरकार ने संकेत दिया है कि औषधि नियंत्रण विभाग के अर्हकारी सेवा नियमों (Eligibility Rules) में भी संशोधन किया जाएगा, ताकि अधिकारियों की पदोन्नति और नियुक्ति प्रक्रिया अधिक सुचारू ढंग से चल सके।
नए ढांचे के तहत उप आयुक्त से पदोन्नति पाकर संयुक्त आयुक्त (औषधि) के पद पर नियुक्ति की जाएगी। इससे प्रशासनिक जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा हो सकेगा।


सरकार का उद्देश्य: दवा बाजार में पारदर्शिता और सुरक्षा

राज्य सरकार का मानना है कि दवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी रखना सार्वजनिक स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा विषय है। नकली दवाएं न केवल मरीजों के जीवन के लिए खतरा हैं, बल्कि स्वास्थ्य तंत्र पर लोगों का भरोसा भी कमजोर करती हैं।
नए फैसले से उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश में दवा कारोबार अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगा, साथ ही दवा दुकानों और थोक विक्रेताओं पर भी नियंत्रण मजबूत होगा।


जनहित में बड़ा कदम

सरकार के इस कदम को स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रत्येक जिले में समर्पित अधिकारी की तैनाती हो जाती है, तो नकली दवाओं का नेटवर्क जड़ से खत्म करने में मदद मिलेगी और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण औषधियां उपलब्ध कराना संभव होगा।

Check Also

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में “सिंदूर घोटाला”, दूल्हा-दुल्हन हैरान—अधिकारियों की सफाई पर उठे सवाल

जिला – गाज़ीपुररिपोर्ट – विकास शर्मा गाज़ीपुर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने …