जिले के प्रभारी मंत्री राकेश सिंह सचान के अचानक किए गए रियलिटी चेक ने जिला प्रशासन में हड़कंप मचा दिया। सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने मंत्री के सामने शिकायत रखी कि जिले के बड़े अधिकारी फोन नहीं उठाते और न ही समय पर समस्याओं का समाधान करते हैं।
पत्रकारों की इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मंत्री सचान ने वहीं मौके पर तत्काल कार्रवाई का संकेत देते हुए मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अर्पित उपाध्याय और डीएफओ मयंक अग्रवाल को उनके आधिकारिक सीयूजी नंबर पर फोन मिलाया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि दोनों ही अधिकारियों ने फोन रिसीव नहीं किया। इस पर मंत्री visibly नाराज़ हो गए और उन्होंने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए।
मंत्री राकेश सचान ने साफ कहा कि —
“अधिकारियों का दायित्व है कि वे 24 घंटे जनता और सरकार के लिए उपलब्ध रहें। फोन न उठाना उनकी जिम्मेदारियों से दूरी और लापरवाही को दर्शाता है। यह जनता की समस्याओं की अनदेखी के बराबर है।”
उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की लापरवाही और मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यदि अधिकारी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं लाते तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इस अप्रत्याशित रियलिटी चेक ने जिले के प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा दिया है। अचानक फोन कॉल पर असफल हुए अधिकारी अब कठघरे में हैं और पूरे जिले के अफसरों को संदेश मिल गया है कि प्रभारी मंत्री की नजर लगातार बनी हुई है।
स्थानीय जनता का कहना है कि अगर मंत्री इसी तरह अधिकारियों की जवाबदेही तय करते रहे तो जमीनी स्तर पर प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार देखने को मिलेगा।
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