कानपुर देहात जिले के राजपुर विकासखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में शुक्रवार को डिप्टी सीएमओ डॉ. आदित्य सचन के औचक निरीक्षण में चौंकाने वाली अनियमितताएं सामने आईं। स्वास्थ्य सेवाओं की जर्जर स्थिति ने न केवल व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर भी गंभीर संदेह उत्पन्न कर दिया है।
निरीक्षण में खुली लापरवाही की पोल
निरीक्षण के दौरान इमरजेंसी रूम में एक्सपायरी डेट के एंटीबायोटिक इंजेक्शन पाए गए। यह गंभीर लापरवाही मरीजों की जान के साथ सीधा खिलवाड़ साबित हो सकती थी। वहीं, जेएसवाई वार्ड की स्थिति और भी शर्मनाक रही — जहां मरीजों की जगह एक कुत्ता आराम से बैठा हुआ मिला।
महिला वार्ड के आसपास गंदगी का अंबार मिला, जिससे साफ-सफाई व्यवस्था की वास्तविकता उजागर हो गई। इसके अलावा दवा भंडारण कक्ष में रखरखाव की कमी और स्टॉक रजिस्टर में गड़बड़ी भी पकड़ी गई।
प्रभारी निरीक्षक की गैर-जिम्मेदारी
निरीक्षण के दौरान जब प्रभारी निरीक्षक डॉ. अमित निरंजन को बुलाया गया, तो वह मौके पर काफी देर से पहुंचे। देरी का कारण उन्होंने “फोन पर व्यस्त होना” बताया। इस रवैये ने स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उनकी उदासीनता और जिम्मेदारी के अभाव को साफ दर्शा दिया।
अस्पताल से गायब जनरेटर
निरीक्षण में अस्पताल परिसर से पुराना जनरेटर भी गायब मिला। इस पर प्रभारी निरीक्षक कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। मामले की गंभीरता को देखते हुए नोडल अधिकारी ने अस्पताल से पिछले दो माह का सीसीटीवी फुटेज मांगा है। साथ ही स्पष्ट किया है कि यदि जांच में लापरवाही साबित होती है तो प्रभारी निरीक्षक और संबंधित स्टाफ पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
पहले भी मिल चुकी हैं शिकायतें
यह मामला पहली बार सामने नहीं आया है। दो दिन पहले ही थाना प्रभारी महेश कुमार ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत की थी कि प्रभारी निरीक्षक पुलिस मेडिकल केसों को बिना कारण सिकंदरा रेफर कर देते हैं।
कार्रवाई की तैयारी
निरीक्षण के बाद डिप्टी सीएमओ डॉ. आदित्य सचन ने कहा कि प्रभारी निरीक्षक अस्पताल का संचालन करने में जिम्मेदार साबित नहीं हो पा रहे हैं। पूरे प्रकरण की रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. ए.के. सिंह को भेजी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
📌 निष्कर्ष
कानपुर देहात का यह मामला स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और लापरवाही का बड़ा उदाहरण है। मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाली इस स्थिति पर यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो स्वास्थ्य सेवाओं पर आम जनता का विश्वास पूरी तरह डगमगा सकता है।
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