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प्यार से शुरू, दर्द पर खत्म हुई कहानी: बीमारी से लड़ा लेकिन हालात से हार गया BSF का जवान, बेटे संग दी जान

बिजनौर के नजीबाबाद के बीएसएफ जवान राहुल और पत्नी मनीषा की प्रेम कहानी ढाई साल में ही त्रासदी में बदल गई। मनीषा ने 19 अगस्त को बैराज से छलांग लगाई और 24 अगस्त को राहुल ने भी डेढ़ साल के बेटे संग गंगा में कूदकर जान दे दी। जीबीएस बीमारी से उबर रहे राहुल हालातों से हार गए।

सीमा सुरक्षा बल (BSF) में वायरलेस ऑपरेटर के पद पर तैनात 31 वर्षीय राहुल और उनकी पत्नी मनीषा की प्रेम कहानी का अंत दर्दनाक रहा। 19 अगस्त को पत्नी मनीषा ने बिजनौर बैराज के गेट नंबर-17 से गंगा में छलांग लगाई थी। ठीक चार दिन बाद 24 अगस्त को राहुल भी अपने डेढ़ साल के बेटे प्रणव को लेकर उसी गेट नंबर-17 से गंगा में कूद गया। घटना से पूरा परिवार मातम में डूब गया है।

एक शादी से शुरू हुई मुलाकात ने पांच साल बाद प्रेम विवाह की मंजिल पाई, मगर ढाई साल में ही पूरा परिवार बिखर गया। बीएसएफ में वायरलेस ऑपरेटर के पद पर तैनात 31 वर्षीय राहुल और उसकी पत्नी मनीषा की जिंदगी की जंग गंगा में छलांग लगाकर थम गई। राहुल के साथ डेढ़ साल का मासूम बेटा प्रणव भी गंगा की लहरों में समा गया।

19 अगस्त को पत्नी मनीषा ने बैराज के गेट नंबर-17 से छलांग लगाई थी। चार दिन तक तलाश चलती रही, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इसी बीच शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे राहुल भी अपने मासूम बेटे को लेकर उसी गेट नंबर-17 से गंगा में कूद गया।

परिवार के लोगों का कहना है कि छह महीने पहले राहुल को जीबीएस (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) जैसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया था। शुरुआत में इसे लकवा समझा गया। हालत इतनी खराब थी कि वह पानी का गिलास भी हाथ से नहीं पकड़ पाता था। लगातार इलाज के बाद उसकी सेहत में सुधार हुआ और वह धीरे-धीरे सामान्य जिंदगी की ओर लौट रहा था। मगर पत्नी के वियोग और घरेलू कलह ने उसे अंदर से तोड़ दिया।

परिवार के लोगों का कहना है कि छह महीने पहले राहुल को जीबीएस (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) जैसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया था। शुरुआत में इसे लकवा समझा गया। हालत इतनी खराब थी कि वह पानी का गिलास भी हाथ से नहीं पकड़ पाता था। लगातार इलाज के बाद उसकी सेहत में सुधार हुआ और वह धीरे-धीरे सामान्य जिंदगी की ओर लौट रहा था। मगर पत्नी के वियोग और घरेलू कलह ने उसे अंदर से तोड़ दिया।परिवार के लोगों का कहना है कि छह महीने पहले राहुल को जीबीएस (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) जैसी गंभीर बीमारी ने घेर लिया था। शुरुआत में इसे लकवा समझा गया। हालत इतनी खराब थी कि वह पानी का गिलास भी हाथ से नहीं पकड़ पाता था। लगातार इलाज के बाद उसकी सेहत में सुधार हुआ और वह धीरे-धीरे सामान्य जिंदगी की ओर लौट रहा था। मगर पत्नी के वियोग और घरेलू कलह ने उसे अंदर से तोड़ दिया।

संयोग देखिए कि मनीषा ने 19 अगस्त को दोपहर करीब दो बजे गेट नंबर-17 से छलांग लगाई थी और ठीक चार दिन बाद 23 अगस्त को राहुल ने भी बेटे के साथ उसी गेट नंबर-17 से और लगभग उसी समय गंगा में छलांग लगा दी। इस घटना ने परिवार के साथ पूरे इलाके को दहला दिया। 

मनीषा के भाई अनिकेत का कहना है कि मनीषा को ससुराल पक्ष से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा था। इसी वजह से उसने यह कदम उठाया। वहीं राहुल के परिवारजन का कहना है कि ऐसा कुछ भी बड़ा नहीं था, मगर पत्नी के जाने के बाद राहुल टूट गया था।

 

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