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जस्टिस यशवंत वर्मा मामले की सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, ये तीन दिग्गज वकील करेंगे पैरवी

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती दी है और आरोप लगाया है कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर नहीं मिला। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा पैरवी करेंगे।

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग आने वाला है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई होने वाली है। जस्टिस वर्मा ने खुद पर बैठाई गई जांच समिति की रिपोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और आरोप लगाया है कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का अवसर नहीं मिला, साथ ही पक्षपात का भी आरोप लगाया है।

तीन दिग्गज वकील करेंगे पैरवी

जस्टिस वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होनी है। जस्टिस वर्मा की पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा जैसे वरिष्ठ और दिग्गज वकील पेश होंगे।

जांच समिति का हिस्सा होने की वजह से सीजेआई गवई ने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है। जस्टिस वर्मा के मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की विशेष बेंच करेगी।

लोकसभा में आया प्रस्ताव

बता दें कि लोकसभा में जस्टिस वर्मा को पद से हटाने का प्रस्ताव भी लाया गया है, जिसमें सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद शामिल हैं। लोकसभा स्पीकर जल्द ही इस मामले की जांच के लिए न्यायाधीशों और न्यायविदों की तीन सदस्यीय जांच समिति के गठन की घोषणा कर सकते हैं।

क्या है विवाद?

14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लग गई थी, तब वे दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। इस आगजनी के बाद एक वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, दावा किया गया कि अग्निशमन कर्मियों को  उनके घर में बड़ी संख्या में कैश था, आग में जल भी गए। हालांकि इस घटना के समय न्यायमूर्ति वर्मा मौजूद नहीं थे।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को कहा था कि राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति के बाद, लोकसभा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए प्रस्ताव पर विचार करेगी। रिजिजू ने यह भी कहा था कि सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष दोनों के 152 सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं और यह मामला न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के अनुसार आगे बढ़ेगा।

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