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लखनऊ हाईकार्ट का फैसला: रामचरितमानस जलाने वालों पर रासुका को ठहराया उचित

न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश देवेंद्र प्रताप यादव व सुरेश सिंह यादव की याचिकाओं पर दिया। इनमें दोनों की रासुका के तहत कार्रवाई के आदेशों को चुनौती दी गई थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने रामचरितमानस की प्रतियां फाड़कर जलाने के दो आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई को उचित ठहराया है। कोर्ट ने रासुका के तहत दोनों को निरुद्ध करने के डीएम लखनऊ के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश देवेंद्र प्रताप यादव व सुरेश सिंह यादव की याचिकाओं पर दिया। इनमें दोनों की रासुका के तहत कार्रवाई के आदेशों को चुनौती दी गई थी। इस मामले में सतनाम सिंह लवी ने गत वर्ष 29 जनवरी को स्थानीय पीजीआई थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि आपराधिक साजिश के तहत सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के समर्थन में और उनकी शह पर देवेंद्र प्रताप यादव व अन्य ने वृंदावन कॉलोनी में रामचरितमानस की प्रतियां फाड़कर जला दीं थीं। इससे लोगों में आक्रोश बढ़ा और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। पुलिस की रिपोर्ट के तहत दोनों के खिलाफ जिलाधिकारी ने रासुका के तहत कार्रवाई का आदेश दिया था।

इससे समाज में आक्रोश व गुस्सा स्वाभाविक
कोर्ट ने कहा, आरोपियों ने अपने सहयोगियों के साथ, सार्वजनिक स्थल पर, दिन के प्रकाश में, समाज के बहुसंख्यक वर्ग द्वारा उनकी धार्मिक मान्यताओं व आस्था के अंतर्गत भगवान राम के जीवन के घटनाक्रम से संबंधित धर्म ग्रंथ का जिस प्रकार अपमान किया, उससे समाज में आक्रोश व गुस्से का उत्पन्न होना स्वाभाविक है। समाज में धार्मिक उन्माद व आक्रोश फैलने की स्थिति का परिदृश्य में आ सकना, वर्तमान स्थिति में विशेषकर जहां मोबाइल फोन व सोशल मीडिया से समाज का लगभग प्रत्येक व्यक्ति जुड़ा हुआ है, स्वाभाविक प्रतीत होता है।

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