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प्रशांत किशोर ने इस मामले में नीतीश कुमार पर कसा तंज, कहा…

बिहार में जाति आधारित गणना का पहला चरण शनिवार को शुरू हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद वैशाली के हरशेर गांव में शिवशरण पासवान और मनोज पासवान के घर के पास के खंभे पर 01 लिखवाकर 14 दिनों तक चलने वाले इस सर्वेक्षण का विधिवत आगाज कराया। पहले चरण की यह प्रक्रिया 21 जनवरी को पूरी हो जायेगी। इसकी रिपोर्ट मई अंत या जून तक आने की संभावना है। समधान यात्रा के क्रम में सीएम और डिप्टी सीए तेजस्वी यादव वैशाली पहुंचे थे।
इस बीच चुनावी रणनीतिकार और नीतीश कुमार के काफी करीब रहे प्रशांत किशोर, पीके ने जाति आधारित गणना को लेकर नीतीश कुमार पर तंज कसा है। पीके ने कहा है कि जातीय गणना से समाज में उन्माद फैलेगा जिसे नीतीश कुमार अनदेखा कर रहे हैं। पूर्वी चंपारण में पदयात्रा पर चल रहे प्रशांत किशोर ने कहा कि जाति आधारित गणना  समाज जोड़ने के लिए नहीं  बल्कि सामाजिक समरसता को तोड़ने के लिए है। दरअसल, जातीय जनगणना का वैधानिक आधार है ही नहीं।  जातीय गणना का फायदा गिनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह विस्तार से उदारहण देकर  बताना चाहिए  कि इसका वैधानिक आधार क्या है ? उन्होंने यह भी पूछा कि  इससे जनता का क्या और कैसे विकास होगा। पीके ने दावा किया कि बगैर कोई सर्वे या गनणा कराए मैं कहता हूं कि राज्य के 13 करोड़ लोग आज भी देश भर में  सबसे पिछड़े और गरीब हैं। सरकार उनके विकास की योजना बनाए। प्रशांत किशोर ने कहा कि जातीय गणना समाज में सबसे निचले पायदान पर स्थित लोग और नीचे चले जाएंगे।  उनका कोई भला नहीं होगा। उलटे, समाजवाद के नाम पर बिहार का समाज अलग अलग खंडों में बंट जाएगा। नीतीश जी का मकसद भी यही है। बिहार की जनता को मूर्ख बनाने का काम किया जा रहा है।

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